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काश ऐसा हो!

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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काश कालिमा मिट जाये,रवि-सा उजियारा छा जाये,
भारत फिर आर्यावर्त बने,पथ सारे जग को दिखलाएl

यों तो यह अपना देश कभी,धार्मिक तत्वों का वेत्ता था,
दुष्कृत्यों को षडयंत्रों को,सत्कृत्यों से धो देता थाl

पर इसमें पाप प्रविष्ट हुआ,वह ध्यान,धर्म,
धीरज न रहा,दिन-रात वही,धन-धाम वही,पर सत्य,शील,संयम न रहाl

इसलिए जलाओ ज्ञान दीप,अज्ञान तिमिर छंटता जाये,
भारत फिर आर्यावर्त बने,पथ सारे जग को दिखलाएl

कान्हा की मुरली फिर गूँजे,कालीदह में हो दुष्ट दलन,
सदज्ञान-भक्ति,और कर्मयोग का मंथन,मंचन,आराधनl

शिव,हरिश्चंद्र,गौतम,गांधी,की गाथाओं का हो प्रचलन,
हर घर में तुलसी का विरवा,हर घर में गौओं का पालनl

जन-जन में चित की उलझन को,सुलझाने की क्षमता आए,
भारत फिर आर्यावर्त बने,पथ सारे जग को दिखलाएl

सच्चा व्यवहार मानवी हो,कायम हो सदा बहार यहाँ,
निश-दिवस हवा में बनी रहे,वीणा की स्वर झनकार यहाँl

हर जाति-वर्ग में प्रेम रहे,आदर सम्मान बराबर हो,
रूढ़िवादी,आडम्बर तजकर मर्यादा संयुत हर घर होl

पतझड़ के पीले वृक्षों में,फिर से मधुमास निकल आए,
भारत फिर आर्यावर्त बने,पथ सारे जग को दिखलाएl

सतपथ में चलते रहें पाँव और कहीं न कोई भेद रहे,
सब मिल-जुल जग में कर्म करे,और कहीं न कोई खेद रहेl

पुरुषार्थमयी,परमार्थमयी,यह भूमि बने उत्कर्षमयी,उत्साहमयी,निःस्वार्थमयी,
यह धरा बने उत्सर्गमयीl

छुद्र स्वार्थ को छोड़ जवानी,राष्ट्र-प्रेम में रम जाए,
भारत फिर आर्यावर्त बने,पथ सारे जग को दिखलाएl

धन-धान्य,पूर्ण हो जन-समाज,उद्योग पूर्ण जीवन भी हो,
फागुन हो रंग प्रमाद पूर्ण,हरियाली युत सावन भी होl

धर्मशील हो सभी वर्ग,चतुराश्रम का पालन भी हो,
सत,न्याय,अहिंसा,सदाचार,संगठन,चरित्र गठन भी होl

इस पावन माटी का कण-कण,जन-गण-मन में रच-बस जाए,
भारत फिर आर्यावर्त बने,पथ सारे जग को दिखलाएll

परिचय-रायपुर में  बैंक में वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर कार्यरत अमल श्रीवास्तव का वास्तविक नाम शिवशरण श्रीवास्तव हैl`अमल` इनका उपनाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैl अमल जी का जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैl आपने गणित विषय से बी.एस-सी.की करके बैंक में नौकरी शुरू कीl आपने तीन विषय(हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. भी किया हैl आपने रामायण विशारद की भी प्राप्त की है,तो पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैl भारतीय संगीत में आपकी रूचि है,इसलिए संगीत में कनिष्ठ डिप्लोमा तथा ज्योतिष में भी डिप्लोमा प्राप्त किया हैl वर्तमान में एम्.बी.ए. व पी-एचडी. जारी हैl शतरंज के उत्कृष्ट खिलाड़ी,वक्ता और कवि श्री श्रीवास्तव कवि सम्मलेनों-गोष्ठियो में भाग लेते रहते हैंl मंच संचालन में महारथी अमल जी लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैl देश के नामी पत्र-पत्रिका में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंl रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैl विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े होकर प्रांतीय पदाधिकारी भी हैंl गायत्री परिवार से भी जुड़े होकर कई प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैंl महत्वपूर्ण उपलब्धि आपके प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म. प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन सहित राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना हैl

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