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काश मैं बच्चा बन जाता

अनिल कसेर ‘उजाला’ 
राजनांदगांव(छत्तीसगढ़)
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काश! मैं बच्चा बन जाता…
सबके मन को भाता,
कोई हँसता कोई रुलाता
रूठ कर जब मैं बैठ जाता,
मुझे मनाने टॉफी कोई दिलाता।

काश! मैं बच्चा बन जाता…
छोटी-छोटी बातें मनवाता,
खूब खिलौने फिर मैं पाता
मन में भेदभाव नहीं आता,
सबके साथ मैं मिल जाता।

काश! मैं बच्चा बन जाता…
न हिन्दू मुस्लिम न सिक्ख ईसाई,
बस इंसान मैं बन जाता।
प्रेम प्यार की सच्ची बातें,
छल-कपट न मुझको आता।

काश! मैं बच्चा बन जाता
घुल-मिलकर साथ सभी के,
इस धरती को सुंदर संसार बनाता।
किसी का मैं ग़ैर नहीं,
सबका अपना मैं कहलाता॥

परिचय –अनिल कसेर का निवास छतीसगढ़ के जिला-राजनांदगांव में है। आपका साहित्यिक उपनाम-उजाला है। १० सितम्बर १९७३ को डोंगरगांव (राजनांदगांव)में जन्मे श्री कसेर को हिन्दी,अंग्रेजी और उर्दू भाषा आती है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी)तथा पीजीडीसीए है। कार्यक्षेत्र-स्वयं का व्यवसाय है। इनकी लेखन विधा-कविता,लघुकथा,गीत और ग़ज़ल है। कुछ रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-सच्चाई को उजागर करके कठिनाइयों से लड़ना और हिम्मत देने की कोशिश है। प्रेरणापुंज-देशप्रेम व परिवार है। सबके लिए संदेश-जो भी लिखें,सच्चाई लिखें। श्री कसेर की विशेषज्ञता-बोलचाल की भाषा व सरल हिन्दी में लिखना है।

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