कुल पृष्ठ दर्शन : 197

You are currently viewing माता-पिता

माता-पिता

आशीष प्रेम ‘शंकर’
मधुबनी(बिहार)
**************************************************************************
माँ की ममता पिता का प्यार,
न जग में है इसका सार
माँ का आँचल गले का हार,
पिता ही बेटे का श्रृंगार।

माँ करुणामयी करुण की धार,
पिता पुत्र का है करतार
माँ वो शीशा जिसको पार,
कर न सके कोई भेदनहार।

माँ वो छतरी है रे नैन,
बिन साया देती सुख-चैन
माँ वो घर जिसमें न घेर,
देती हर मुश्किल को फेर।

माँ वो तरू जो बिन समूल,
करती पूरी हर पग फूल
माँ ही गंगा,माँ ही ग्यान,
माँ ही तुलसी सब जग जान।

प्रेम का रस देती भरपूर,
माँ विरह के रस से रखती दूर
विरह की हो टोली भी क्यूँ ना,
कर देती है चकनाचूर।

पिता की खर है जो कोई पाया,
पिता की आन ने जिसको भाया
उसका हुआ है सदा सवेरा,
उसका है जीवन हरसाया।

पिता तो हैं उस दृढ़ समान,
करते हरदम पूरी यान
पिता पुत्र का है अभिमान,
ये अभिमान भी है स्वमान।

पिता तो हैं वो बहती धार,
कर दे सारे विघ्न को पार
पिता का हाथ पुत्र की शान,
पुत्र में बसते उनके प्राण।

पिता की सामर्थ्य का भान,
परखा जिसने रहा वो जान।
पिता तो है उस देव समान,
‘आशीष’ ने लिया है संज्ञान॥

परिचय-आशीष कुमार पाण्डेय का साहित्यिक उपनाम ‘आशीष प्रेम शंकर’ है। यह पण्डौल(मधुबनी,बिहार)में १९९८ में २२ फरवरी को जन्में हैं,तथा वर्तमान और स्थाई निवास पण्डौल ही है। इनको हिन्दी, मैथिली और उर्दू भाषा का ज्ञान है। बिहार से रिश्ता रखने वाले आशीष पाण्डेय ने बी.-एससी. की शिक्षा हासिल की है। फिलहाल कार्यक्षेत्र-पढ़ाई है। आप सामाजिक गतिविधि में सक्रिय हैं। लेखन विधा-काव्य है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में केसरी सिंह बारहठ सम्मान,साहित्य साधक सम्मान,मीन साहित्यिक सम्मान और मिथिलाक्षर प्रवीण सम्मान हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जागरूक होना और लोगों को भी करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-रामधारी सिंह ‘दिनकर’ एवं प्रेरणापुंज-पूर्वज विद्यापति हैं। इनकी विशेषज्ञता-संगीत एवं रचनात्मकता है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिन्दी हमारी भाषा है,और इसके लिए हमारे पूर्वजों ने क्या कुछ नहीं किया है,लेकिन वर्तमान में इसकी स्थिति खराब होती जा रही है। लोग इसे प्रयोग करने में स्वयं को अपमानित अनुभव करते हैं,पर हमें इसके प्रति फिर से और प्रेम जगाना है,क्योंकि ये हमारी सांस्कृतिक विरासत है। इसे इतना तुच्छ न समझा जाए।

Leave a Reply