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कितना शोषण ?

कमलेश वर्मा ‘कोमल’
अलवर (राजस्थान)
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आज हो रहा कितना शोषण हर जन इसको सह रहा,
निजी संस्थानों में देखो सबका शोषण हो रहा।

गर कोशिश कर भी दें तो पत्ता तुरन्त उसका कट गया,
आज हो रहा कितना शोषण हर जन इसको सह रहा।

खुदगर्ज हो गया है आज का मानव,
दूसरे को कितना नीचा दिखा रहा
वही टिक रहा है देखो,
जो तलवे चाट रहा।

बस झूठी शान दिखा कर अपने मन में इतरा रहा,
उच्च पद पर आसीन होकर अपनी मनमानी कर रहा
जो करते चापलूसी उसकी, वही उसे ही भा रहा।

मेहनती और ईमानदारी की कीमत न समझे,
चालाक और झूठे का बोलबाला ज्यादा हो रहा
अपने पद को ऊँचा उठाने, चाटुकारिता कर रहा।

ईमानदार सह लेता शोषण वह भी लोगों को खटक रहा,
कहीं छूट न जाए पद उसका ईमानदारी से वह रह रहा,
पर कुछ लोगों को खटकने लगती ईमानदारी उसकी।

निजी संस्थानों में ज्यादा हो गया शोषण,
शिक्षा से ज्यादा हो गई है अब राजनीति।
चापलूसी की रह गई नौकरी वही व्यक्ति टिक रहा,
आज हो रहा कितना शोषण हर जन इसको सह रहा॥

परिचय –कमलेश वर्मा लेखन जगत में उपनाम ‘कोमल’ से पहचान रखती हैं। ७ जुलाई १९८१ को दुनिया में आई रामगढ़ (अलवर) वासी कोमल का वर्तमान और स्थाई बसेरा जिला अलवर (राजस्थान) में ही है। आपको हिन्दी, संस्कृत व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। एम.ए. व बी.एड. तक शिक्षित कमलेश वर्मा ‘कोमल’ का कार्यक्षेत्र व्याख्याता (निजी संस्था) का है। इनकी लेखन विधा-गीत व कविता है। इनकी रचनाएं पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं तो ब्लॉग पर भी लेखन जारी है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-“कविता के माध्यम से विचार प्रकट करना एवं लोगों को जागरूक करना है।” पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, एवं जय शंकर प्रसाद हैं तो विशेषज्ञता- पद्य में है। बात की जाए जीवन लक्ष्य की तो भारतीय समाज में सम्मान प्राप्त करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार -“राष्ट्र एक व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास राष्ट्र पर निर्भर करता है। हिंदी हमारी राष्ट्र और मातृत्व भाषा है, जो सरल तरीके से समझी और बोली भी जा सकती है। इसलिए इसे बढ़ाया ही जाना चाहिए।”