राधा गोयल
नई दिल्ली
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झूठ, फरेब, रिश्वतखोरी का बोलबाला है,
जातिवाद, वंशवाद ने डेरा डाला है
शराफत का नकाब ओढ़े बैठे हैं जो,
उसकी आड़ में बड़ा ‘खेल’, खेल डाला है।
वोटों का खेल चल रहा है यहाँ,
इज्जत नीलाम हो रही है यहाँ
शत्रु से हाथ वो मिलाते हैं,
दंगे भड़का रहे हैं रोज यहाँ।
लूट का खेल यहाँ तारी है,
जीते जी मरने की लाचारी है
रिश्वतखोरी का बोलबाला है,
देश का सत्यानाश ही कर डाला है।
कितनी सम्पत्ति फूँक डाली है,
जिन्दगी नर्क-सी कर डाली है
कब तलक सोए रहोगे, जागो अब,
ऐसे लोगों को सबक सिखा दो अब।
‘फूट डालो और राज करो’ की नीति पहचानो,
जात-पात के भेद-भाव को जानो
यदि चाहते हो देश रहे जीवित,
तो एकता के सूत्र में बँधना होगा।
आत्मरक्षा और आत्मसम्मान की खातिर,
लड़ने का हुनर भी सीखना होगा॥