कुल पृष्ठ दर्शन : 213

You are currently viewing सूना रहता सारा थल

सूना रहता सारा थल

सुबोध कुमार शर्मा 
शेरकोट(उत्तराखण्ड)

*********************************************************

कितने वृक्ष लगाये जाते हैं प्रतिपल,
फिर भी हरियाली को रहती है हलचल।
फाइलों में वृक्षों के आँकड़े बढ़ते जाते-
फिर भी वृक्षों से सुना रहता सारा थल।

कब मानव इस झूठ को सत्य करेगा,
लगे वृक्षों की मन से उनकी रक्षा करेगा।
जल संकट जो छाया जीवन में सबके-
वृक्षारोपण से ही मानव जीवन सुधरेगा।

अतिवृष्टि तो दूर गईं वर्षा न अब होती,
जल की एक एक बूँद को धरती रोती।
कैसे खेतों में हरियाली नृत्य करेगी-
अनावृष्टि से खेतों में फसलें न बोती।

घर के फर्नीचर को निरख बिलख रहे हैं,
वर्षा की एक एक बूंद को तरस रहे हैं।
वृक्ष नहीं काटेे जाते तो न होता ऐसा-
लकड़ी चोरी में अब भी तो विचर रहे हैं॥

परिचय – सुबोध कुमार शर्मा का साहित्यिक उपनाम-सुबोध है। शेरकोट बिजनौर में १ जनवरी १९५४ में जन्मे हैं। वर्तमान और स्थाई निवास शेरकोटी गदरपुर ऊधमसिंह नगर उत्तराखण्ड है। आपकी शिक्षा एम.ए.(हिंदी-अँग्रेजी)है।  महाविद्यालय में बतौर अँग्रेजी प्रवक्ता आपका कार्यक्षेत्र है। आप साहित्यिक गतिविधि के अन्तर्गत कुछ साहित्यिक संस्थाओं के संरक्षक हैं,साथ ही काव्य गोष्ठी व कवि सम्मेलन कराते हैं। इनकी  लेखन विधा गीत एवं ग़ज़ल है। आपको काव्य प्रतिभा सम्मान व अन्य मिले हैं। श्री शर्मा के लेखन का उद्देश्य-साहित्यिक अभिरुचि है। आपके लिए प्रेरणा पुंज पूज्य पिताश्री हैं।

Leave a Reply