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कैसा है नववर्ष का आगमन

कमलेश वर्मा ‘कोमल’
अलवर (राजस्थान)
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नव वर्ष विशेष…

छाया है कोहरा, बढ़ रही है ठिठुरन,
ये कैसा है नववर्ष का आगमन ?
तनिक ठहरो कुछ और दिन सब,
तब आएगा नवसंवत्सर।

छिपे हैं सब घरों में सर्दी के कारण,
ये कैसा है नववर्ष का आगमन ?
घना कोहरा छाया हुआ है आसमां में,
सूरज भी छिपा है कोहरे के अंदर।

चली है शीतलहर बढ़ गई है ठंडक,
नए साल को मना रहे हैं घरों के अंदर।
सूनी है सड़कें सूना है आशियाना,
मना रहे हैं नववर्ष रजाई में छिपकर।

सूरज भी झाँक रहा है बादलों की ओट में,
ठिठुरन से छिपे हुए हैं पंछी भी घोंसलों में
जब आसमान पंछी उन्मुक्त होकर उड़ चलेंगे,
तब मनेगा नवसंवत्सर उत्साह और जोश में।

खिले फूल भी काँप रहे हैं ठिठुरन से,
बच्चे भी दुबक गए हैं कम्पन से।
अब हो गई ज्यादा ठिठुरन,
ये कैसा नववर्ष का आगमन ?

परिचय –कमलेश वर्मा लेखन जगत में उपनाम ‘कोमल’ से पहचान रखती हैं। ७ जुलाई १९८१ को दुनिया में आई रामगढ़ (अलवर) वासी कोमल का वर्तमान और स्थाई बसेरा जिला अलवर (राजस्थान) में ही है। आपको हिन्दी, संस्कृत व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। एम.ए. व बी.एड. तक शिक्षित कमलेश वर्मा ‘कोमल’ का कार्यक्षेत्र व्याख्याता (निजी संस्था) का है। इनकी लेखन विधा-गीत व कविता है। इनकी रचनाएं पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं तो ब्लॉग पर भी लेखन जारी है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-“कविता के माध्यम से विचार प्रकट करना एवं लोगों को जागरूक करना है।” पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, एवं जय शंकर प्रसाद हैं तो विशेषज्ञता- पद्य में है। बात की जाए जीवन लक्ष्य की तो भारतीय समाज में सम्मान प्राप्त करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार -“राष्ट्र एक व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास राष्ट्र पर निर्भर करता है। हिंदी हमारी राष्ट्र और मातृत्व भाषा है, जो सरल तरीके से समझी और बोली भी जा सकती है। इसलिए इसे बढ़ाया ही जाना चाहिए।”