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कैसे मनायेंगे अब होली ?

आशा जाकड़ ‘ मंजरी’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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कैसे मनायेंगे अब होली ?
आतंकी खेल रहे खूनी होली।

बहिनों के नेह की सूनी हुई डगर,
कपोलों पर बहता सूख गया समन्दर।
बिन भैया कैसे लगायेंगी माथे पे रोली ?
कैसे मनायेंगे अब होली ?

ललनाओं के माथे का सिन्दूर मिट गया,
सारा संसार उनका अब वीरान हो गया।
कभी न सुनेगी अब वे प्रीतम की बोली,
कैसे मनायेंगे अब होली ?

घर का एक चिराग ही गुल हो गया,
मातृभूमि की वेदी पर शहीद हो गया।
घर के आँगन कैसे गूँजे अब ठिठोली ?
कैसे मनायेंगे अब होली ?

विदा दे रहे खेत,गाँव और नगर,
जा रहे सिपाही सीमा पर हर पहर।
बन्दूक की चल रही दनादन गोली,
कैसे मनायेंगे अब होली ?

अबोध बच्चे पूछेंगे कब आयेंगे तात,
कब लायेंगे खिलौने,कब खायेंगे साथ।
कृष्ण बिन अब राधा कैसे खेलेगी होली…
कैसे मनायेंगे अब होली ?
आतंकी खेल रहे खूनी होली॥

परिचय-श्रीमती आशा जाकड़ का उपनाम मंजरी है।आपका जन्मस्थल उत्तरप्रदेश का शिकोहाबाद है। कार्यक्षेत्र इन्दौर(म.प्र.)होने से इंदौर में ही निवास है। आपकी शिक्षा एम.ए.(हिंदी,समाज शास्त्र) और बी.एड.है। कार्यक्षेत्र-अध्यापन (३५ वर्ष) है, जिसमें २८ वर्ष तक इन्दौर में ही आपने अध्यापन कराया है। आपको मिले सम्मान में सरल अलंकरण,माहेश्वरी सम्मान,रंजन कलश सहित साहित्यमणि श्री (बालाघाट),कृति कुसुम सम्मान इन्दौर,शब्द प्रवाह साहित्य सम्मान (उज्जैन), श्री महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान(शिलांग),साहित्य रत्न,राष्ट्रीय गौरव सम्मान (मानद उपाधि) और पूर्णोपमाश्री सम्मान-२०१७ आदि विशेष हैं। सेवानिवृत्ति के बाद आपके काव्य संग्रह-‘राष्ट्र को नमन’, कहानी संग्रह-‘अनुत्तरित प्रश्न’ और ‘नए पंखों की उड़ान’ प्रकाशित हुए हैं। आशा जी बचपन से ही गीत, कविता,नाटक, कहानियां,गजल आदि के लेखन में सक्रिय हैं तो, काव्य गोष्ठियों और आकाशवाणी से भी पाठ करती हैं। सामाजिक गतिविधि में आप अध्यापन नि:शुल्क अध्यापन और महिलाओं के लिए कार्यक्रम करती हैं। आपकी लेखन विधा-गीत, ग़ज़ल,कविता,कहानी तथा आलेख आदि हैं। विशेष उपलब्धि -बेटी बचाओ सम्मान प्राप्त करना तथा एक साहित्यिक संस्था की अध्यक्षा भी रही है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का प्रचार करना है। आपकी रचनाएं विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। आशा जी कई  प्रमुख संस्थाओं और हित कार्य करने वाली संस्थाओं से जुड़ी हुई हैं।

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