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क्यों आँसू अब तक नहीं बहे!

राधा गोयल
नई दिल्ली
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आँसू नहीं बह रहे हैं, तो कोई तो कारण होगा
रोती रह जाऊँगी, तो कैसे बच्चों का पालन होगा,
छोटे से बच्चों को, भाग्य भरोसे छोड़ गए हो तुम
मेरे सारे सपनों को, जीते-जी तोड़ गए हो तुम
दुनिया के मंझधार बीच, हम सबको छोड़ गए हो तुम,
इस जग के सारे सुख-दु:ख से, नाता तोड़ गए हो तुम।

दिल में आँसू भरे पड़े हैं, आँख से नहीं बहाऊँगी
बैठ अकेले में रो लूँगी, किसी को नहीं दिखाऊँगी,
दया किसी की नहीं चाहिए, दिल में मैंने ठान लिया
दुनिया के तानों की तरफ, मैंने न कोई ध्यान दिया,
आँखों में आँसू हैं, लेकिन उनको नहीं बहाऊँगी
बच्चों के पालन हेतु, चुपचाप उन्हें पी जाऊँगी।

आँसू का सागर है, उमड़- उमड़ कर रोज छलकता है
मन ही मन में रोती हूँ, आँखों में नहीं झलकता है,
दिल करता है खूब रोऊँ, आँसू जो अब तक नहीं बहे
दुनिया ने ताने खूब दिए, क्यों आँसू अब तक नहीं बहे ?
क्या केवल रोते रहने से, सभी काम हो जाएंगे ?
दुनिया की परवाह करूँ, तो जीते जी मर जाएंगे।
दिल में कितने शोले हैं, भीतर- भीतर जो दहक रहे,
किसी को क्यों दिखलाऊँ वो आँसू, जो अब तक नहीं बहे॥