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क्यों पीछे सब छूट गया

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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बढ़ गए आगे पर क्यों पीछे छूट गया,
ध्यान लगा चलते-चलते, क्या रूठ गया
युवा अवस्था पाते ही बचपन छूट गया,
आया बुढ़ापा तो जवानी भी रूठ गई ?

बढ़ गए आगे तो क्यों पीछे सब छूट गया,
कोल्ड ड्रिंक के कारण नींबू- दही-बेल रूठ गया
छोटे परिवार के कारण रिश्ते- नाते छूट गए,
बीबी को मनाते-मनाते माता-पिता रूठ गए ?

बढ़ गए आगे तो क्यों पीछे सब छूट गया,
सामर्थ्य के चक्कर में संस्कार क्यों रूठ गया ?
आधुनिकता को पाने में प्रकृति क्यों छूट गई,
सपनों को सजाने में अपने क्यों रूठ गए ?

वादा निभाते-निभाते कर्म क्यों छूट गया,
अधिकार लेते-लेते कर्तव्य क्यों रूठ गया ?
अपना बनाते-बनाते अपने क्यों रूठ गए,
बढ़ गए आगे तो क्यों पीछे सब छूट गए…?

परिचय– साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।