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खरीददारी करते समय ध्यान दें

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’
सोलन(हिमाचल प्रदेश)
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हम लोग अक्सर खरीददारी करते करने के लिए बाजार जाते हैं। बाजार में बहुत सारी दुकानें होती है। कुछ दुकानों पर बहुत भीड़ रहती है, अर्थात पैर रखने की जगह भी नहीं होती है और कुछ दुकानें ऐसी भी होती है, जहां इक्का-दुक्का ही ग्राहक होते हैं। तब हम लोग भी प्रायः भीड़ वाली दुकान का हिस्सा बन जाते हैं।
जब भी हम खरीददारी करें तो इस बात पर ध्यान दें कि, जिस दुकान पर कोई ग्राहक नहीं आ रहा है, उससे सामान खरीद कर उस दुकानदार का मनोबल बढ़ाएं और भीड़ से बचकर अपना अमूल्य समय भी बचाएं। जिस दुकान पर भीड़ नहीं आ रही है, तो

इसका अर्थ यह नहीं है कि वह दुकानदार अच्छी गुणवत्ता का माल‍ नहीं रखता होगा। माल‍ खरीदने वक्त मूल्य और गुणवत्ता की जांच अवश्य करें और जिस दुकान पर पर कम ग्राहक
है, उनसे अपना सामान खरीदें।
इसके अतिरिक्त जब हम सब्जी और फल इत्यादि खरीदने जाते हैं तो कुछ वृद्ध, अपंग और बच्चे भी सब्जी बेचते नजर आते हैं। वृद्ध और बच्चों को ये कार्य मजबूरी में करने पड़ते हैं। वे भीख मांगने की बजाय अपना जीवन खुद्दारी से जीने के लिए ये कार्य करते हैं। हम यह प्रयास करें कि उनसे समान खरीद कर उनकी खुद्दारी का सम्मान करें, ताकि वे अपना जीवन-यापन अच्छे से कर सकें।vइस प्रकार वृद्ध और छोटे बच्चों का
समय भी अच्छे से गुजरेगा और दिन भर वे कार्य में व्यस्त रहेंगे। छोटे बच्चे दुकानदारी से जुड़कर भविष्य संवारेंगे तथा असामाजिक तत्वों की संगत से बचे रहेंगे। बच्चे देश का भविष्य हैं और इनके संरक्षण की जिमेदारी हम सबकी है।

परिचय-डॉ. प्रताप मोहन का लेखन जगत में ‘भारतीय’ नाम है। १५ जून १९६२ को कटनी (म.प्र.)में अवतरित हुए डॉ. मोहन का वर्तमान में जिला सोलन स्थित चक्का रोड, बद्दी(हि.प्र.)में बसेरा है। आपका स्थाई पता स्थाई पता हिमाचल प्रदेश ही है। सिंधी,हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले डॉ. मोहन ने बीएससी सहित आर.एम.पी.,एन. डी.,बी.ई.एम.एस.,एम.ए.,एल.एल.बी.,सी. एच.आर.,सी.ए.एफ.ई. तथा एम.पी.ए. की शिक्षा भी प्राप्त की है। कार्य क्षेत्र में दवा व्यवसायी ‘भारतीय’ सामाजिक गतिविधि में सिंधी भाषा-आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का प्रचार करने सहित थैलेसीमिया बीमारी के प्रति समाज में जागृति फैलाते हैं। इनकी लेखन विधा-क्षणिका,व्यंग्य लेख एवं ग़ज़ल है। कई राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन जारी है। ‘उजाले की ओर’ व्यंग्य संग्रह)प्रकाशित है। आपको राजस्थान द्वारा ‘काव्य कलपज्ञ’,उ.प्र. द्वारा ‘हिन्दी भूषण श्री’ की उपाधि एवं हि.प्र. से ‘सुमेधा श्री २०१९’ सम्मान दिया गया है। विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अध्यक्ष(सिंधुडी संस्था)होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-साहित्य का सृजन करना है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद एवं प्रेरणापुंज-प्रो. सत्यनारायण अग्रवाल हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी को राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिले,हमें ऐसा प्रयास करना चाहिए। नई पीढ़ी को हम हिंदी भाषा का ज्ञान दें, ताकि हिंदी भाषा का समुचित विकास हो सके।”

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