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स्वप्न और यथार्थ

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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स्वप्न देखना बुरा नहीं है,
मन हल्का हो जाता है
लेकिन जीवन पथ पर साथी,
यथार्थ कहीं खो जाता है।

साकार कभी होता नहीं,
स्वप्न अक्सर क्षणिक होता है
मन के आँगन में बैठा,
मनमौजी एक पथिक होता है,

आसमान में विचरण करता,
यथार्थ से कोसों दूर होता है
सोचा हुआ कभी नहीं होता,
स्वप्न अक्सर स्वप्न होता है।

आँख खोलकर स्वप्न देखना,
जरुर सफल हो जाता है
मंजिल पर पहुंच जाने का,
अपना मार्ग प्रशस्त हो जाता है।

स्वप्न सभी देखते हैं जीवन में,
लेकिन साकार नहीं होता है।
मेहनत करके खाने से साथी,
जीवन कभी बेकार नहीं होता है॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।

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