कुल पृष्ठ दर्शन : 302

You are currently viewing खुश रंग भरी होली और हम

खुश रंग भरी होली और हम

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’
जमशेदपुर (झारखण्ड)
*******************************************

रंग और हम(होली स्पर्धा विशेष )…

चहुँओर फैला उल्लास फाल्गुन का ये सुंदर मधुमास,
शुभ गुलाल रंग ढोलक-मृदंग सुख रस लाई है होली।

प्रकृति करे अनुपम श्रंगार खिले पलाश नारंगी लाल,
कोयलिया की कुहूकन मुदित कान्हा बाँसुरी धुन बोली।

डाली-डाली पक्षी फुदके नीड़ बनावे मन ले प्यार,
सुखद लागे मंद बयार फाल्गुनी नभ धरा रंगोली।

बेसब्री का बीता कल करेंगे जी हम हँसी-हुड़दंग,
चढ़ गया है फागुनी रंग मस्ती भरी जन की टोली।

फगुआ गीतों से गूँजता देखो सतरंगी धरती-आकाश,
प्रेम रंगों की दिव्यता गाये राधा कृष्णा की होली।

बिरज में टेसू फूलों संग खेले फ़ाग रंग उडे़ गुलाल,
नंदगाँव पर चढ़ रहा बरसाने की रंग फागुनी होली।

भारत के हर प्रांत में जन की आस्था प्रतीक ये रंग,
दक्षिण भारत का मंदिरोत्सव उत्तिर है रंग होली।

होलिका दहन करें हम विनती खुश रंग भरा हो जीवन,
बुराईयों औ पीड़ाओं का अंत लाए सुखद रंग होली

बाल वृद्ध खुशी मनाएं छलके रसधार प्यार फ़ाग,
उत्साहित पुरूष-नारी खुशी अपार करे ठिठोली।

हर्षित हम सब जन बने घर-घर पकवान मिठाई,
माल-पूए दही बडे़ अनोखे गुझिए औ ठंडई निराली।

गले लगा जन मुख रंगें नाचे मस्ती़ करे हमजोली,
कहे कृष्ण कन्हाई मर्यादित रखना रंगों की होली।

उन्मुक्त प्रेम भरे भाव लिए घन बरसत रंग फुहार,
हलचल खूब मचाएं नाचे गाएं हम फाग रंग होली।

चितचोर हुए हैं सांवरे नैना भौहें हुई तीर कमान,
लहरा चुनरिया सजनी हँसी साजन खेलूँ रंग होली।

रंग में डूबे घर आँगन ठुमकी लगा नाचे मनभावन,
राधा-कृष्णा मोहनी जोड़ी भीगें सबके मन रंग होली।

लहलहाए उमंग खेले फाग जन हर्षित मन रंग गुलाल,
‘आशा’ विश्वास,ऊर्जा,एकता का प्रतीक धुलेंडी है हमजोली।

पोर-पोर में घुल रही है देखिए फाल्गुनी मिठास,
सबके हिय में उगता उमंग उल्लास रंग है होली॥

रंग जाए फागुनी सुंदर रंगों से सम्मान बड़ों का आशीष,
सदियों से अनुराग रीति-प्रीति उमंग तरंग है होली।

रंगों का त्योहार उम्र धर्म जाति भेद भाव से है उपर,
आओ हम सब मिलकर खेंलें प्रेम सौहार्द उमंग रंग होली।

द्वेष जाति धर्म बिसार के सबने गले लगाया फागुनी रंग
ईश आशीष सदा बरसे शुभता रंग भरी हो हम सब की होली…॥

परिचय- डॉ.आशा गुप्ता का लेखन में उपनाम-श्रेया है। आपकी जन्म तिथि २४ जून तथा जन्म स्थान-अहमदनगर (महाराष्ट्र)है। पितृ स्थान वाशिंदा-वाराणसी(उत्तर प्रदेश) है। वर्तमान में आप जमशेदपुर (झारखण्ड) में निवासरत हैं। डॉ.आशा की शिक्षा-एमबीबीएस,डीजीओ सहित डी फैमिली मेडिसिन एवं एफआईपीएस है। सम्प्रति से आप स्त्री रोग विशेषज्ञ होकर जमशेदपुर के अस्पताल में कार्यरत हैं। चिकित्सकीय पेशे के जरिए सामाजिक सेवा तो लेखनी द्वारा साहित्यिक सेवा में सक्रिय हैं। आप हिंदी,अंग्रेजी व भोजपुरी में भी काव्य,लघुकथा,स्वास्थ्य संबंधी लेख,संस्मरण लिखती हैं तो कथक नृत्य के अलावा संगीत में भी रुचि है। हिंदी,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा की अनुभवी डॉ.गुप्ता का काव्य संकलन-‘आशा की किरण’ और ‘आशा का आकाश’ प्रकाशित हो चुका है। ऐसे ही विभिन्न काव्य संकलनों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी लेख-कविताओं का लगातार प्रकाशन हुआ है। आप भारत-अमेरिका में कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर पदाधिकारी तथा कई चिकित्सा संस्थानों की व्यावसायिक सदस्य भी हैं। ब्लॉग पर भी अपने भाव व्यक्त करने वाली श्रेया को प्रथम अप्रवासी सम्मलेन(मॉरीशस)में मॉरीशस के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान,भाषाई सौहार्द सम्मान (बर्मिंघम),साहित्य गौरव व हिंदी गौरव सम्मान(न्यूयार्क) सहित विद्योत्मा सम्मान(अ.भा. कवियित्री सम्मेलन)तथा ‘कविरत्न’ उपाधि (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ) प्रमुख रुप से प्राप्त हैं। मॉरीशस ब्रॉड कॉरपोरेशन द्वारा आपकी रचना का प्रसारण किया गया है। विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ में भी आप सक्रिय हैं। लेखन के उद्देश्य पर आपका मानना है कि-मातृभाषा हिंदी हृदय में वास करती है,इसलिए लोगों से जुड़ने-समझने के लिए हिंदी उत्तम माध्यम है। बालपन से ही प्रसिद्ध कवि-कवियित्रियों- साहित्यकारों को देखने-सुनने का सौभाग्य मिला तो समझा कि शब्दों में बहुत ही शक्ति होती है। अपनी भावनाओं व सोच को शब्दों में पिरोकर आत्मिक सुख तो पाना है ही,पर हमारी मातृभाषा व संस्कृति से विदेशी भी आकर्षित होते हैं,इसलिए मातृभाषा की गरिमा देश-विदेश में सुगंध फैलाए,यह कामना भी है

Leave a Reply