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गजानन आराधना

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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गणेश चतुर्थी विशेष….

गजानन आओ नी इक बार…।
गजानन आओ नी इक बार…।
निसदिन तेरी बाट मैं जोहूं,
बैठूं पलक बुहार…।
गजानन आओ नी इक बार…॥

धूप-दीप और फल-फूलों से ,
तुझको भोग लगाऊँ।
लगा तेरे अगर और चंदन,
मैं श्रृंगार सजाऊँ।
तुमसे करूं एक ही बिनती,
दर्शन अब दे जाओ।
गजानन आओ नी इक बार…।
गजानन आओ नी इक बार…।
निसदिन तेरी बाट मैं जोहूं,
बैठूं पलक बुहार…।
गजानन आओ नी इक बार…॥

रिद्धि-सिद्धि के तुम हो दाता,
ज्ञान-बुद्धि के सागर।
जीवन मेरा कोरा कागज,
रीती पड़ी है गागर।
बूंद-बूंद से प्यास बुझे न,
बन के मेघ बरसाओ।
गजानन आओ नी इक बार…।
गजानन आओ नी इक बार…।
निसदिन तेरी बाट मैं जोहूं,
बैठूं पलक बुहार…।
गजानन आओ नी इक बार…॥

यह दुनिया मद में है अंधी,
मैं मंदबुद्धि कहलाऊँ।
ज्ञान-सरिता मुझ तक मोड़ो,
मैं ‘अजस्र’ बन जाऊँ।
रख के हाथ शीश पर मेरे,
कृपा-आशीष बरसाओ।
गजानन आओ नी इक बार…।
गजानन आओ नी इक बार…।
निसदिन तेरी बाट मैं जोहूं,
बैठूं पलक बुहार…।
गजानन आओ नी इक बार…॥

शुभ और लाभ,रिद्धि और सिद्धि,
विद्या-लक्ष्मी साथ।
घर-आँगन में मेरे पधारो,
सबको लेकर आप।
मूषक-सवार मेरे मन-मंदिर,
आकर के बस जाओ।
गजानन आओ नी इक बार…।
गजानन आओ नी इक बार…।
निसदिन तेरी बाट मैं जोहूं,
बैठूं पलक बुहार…।
गजानन आओ नी इक बार…॥

परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार’अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी (राजस्थान) है। आप राजस्थान के बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-२०१७ सहित अन्य से सम्मानित किया गया है|

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