कुल पृष्ठ दर्शन : 230

You are currently viewing ग़लत है न ?

ग़लत है न ?

गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
*****************************************

अच्छी हो या बुरी,
सही हो या ग़लत ?
ज़िन्दगी कैसी भी हो,
हिसाब ग़लत है।

दो अधूरे इंसान मिलकर,
एक मुक़्क़मल इंसान नहीं बनते
दो अधूरे रास्ते जुड़कर,
किसी मंज़िल से नहीं मिलते
ये हिसाब ज़िन्दगी का है,
और यहां नियम अलग हैं
एक बार बढ़कर कोई घट नहीं सकता,
लेकिन वो बड़ा हो जाए
ऐसा भी ज़रूरी नहीं,
यहाँ एक,एक के बराबर नहीं।

यहाँ एक,एक से जुदा है
जैसे आँकड़े,
आईने में अपनी सूरत देखने पर
उलट जाते हैं,
ख़ुद ही की नज़र में
और ख़ुद ही हँसते हैं,
एक-दूसरे पर।

कभी दो संख्याएं ऐसे मिलीं कि अनन्त हो गईं,
और कभी ऐसे कि सिफ़र
ये ज़िन्दगी का हिसाब है,
और ये हिसाब ग़लत है…ग़लत,
डर है इम्तिहान से
क्योंकि नतीज़ा क्या होगा,
सबको पता है…।
क्योंकि हारते हुए भी,
कोई हारना नहीं चाहता…
ग़लत है न ?

परिचय–गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”

Leave a Reply