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गीता-उपदेश से मन खिलता

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ 
मनावर(मध्यप्रदेश)
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विश्व के सबसे प्राचीन ग्रन्थों में गीता के क्या कहने,
ऋग्वेद से लेकर वेद, दर्शन शास्त्र, पुराण, गीता, ज्ञान का प्रमाण होते
शरीर की मृत्यु ही जीवन का अंत नहीं,
परंतु जन्म-जन्मांतर की श्रृंखला का सार यही होते।

जीवात्मा पुनर्जन्म लेती, जीवात्मा को कर्मों के आधार पर जन्म मिलता
जीवात्मा के सूक्ष्म शरीर के साथ उसके धर्म, कर्म व ज्ञान का संग होता,
गीता का ज्ञान का प्रकाश सभी सत्य का सर्वोच्य स्थान सर्वत्र लेता
कृष्ण और अर्जुन के मूलमंत्र उपदेशों का सार जीवन का सार होता।

ज्ञानी इंसान भी गीता की कसम खाते, हाथ रखकर सत्य वचन निभाते
कथावाचक भगवत गीता का सर्वत्र स्थानों पर गुण-भजन- उपदेश सुनाते,
श्रद्धालुओं के मन गीता उपदेश के श्रवण करने से मुग्ध हो कर खिल जाते।
सभी समस्याओं से परे हटकर,
राधे-राधे नाम निरन्तर खुश होकर गाते॥

परिचय-संजय वर्मा का साहित्यिक नाम ‘दॄष्टि’ है। २ मई १९६२ को उज्जैन में जन्में श्री वर्मा का स्थाई बसेरा मनावर जिला-धार (म.प्र.)है। भाषा ज्ञान हिंदी और अंग्रेजी का रखते हैं। आपकी शिक्षा हायर सेकंडरी और आयटीआय है। कार्यक्षेत्र-नौकरी( मानचित्रकार के पद पर सरकारी सेवा)है। सामाजिक गतिविधि के तहत समाज की गतिविधियों में सक्रिय हैं। लेखन विधा-गीत,दोहा,हायकु,लघुकथा कहानी,उपन्यास, पिरामिड, कविता, अतुकांत,लेख,पत्र लेखन आदि है। काव्य संग्रह-दरवाजे पर दस्तक,साँझा उपन्यास-खट्टे-मीठे रिश्ते(कनाडा),साझा कहानी संग्रह-सुनो,तुम झूठ तो नहीं बोल रहे हो और लगभग २०० साँझा काव्य संग्रह में आपकी रचनाएँ हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में भी निरंतर ३८ साल से रचनाएँ छप रहीं हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में देश-प्रदेश-विदेश (कनाडा)की विभिन्न संस्थाओं से करीब ५० सम्मान मिले हैं। ब्लॉग पर भी लिखने वाले संजय वर्मा की विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-मातृभाषा हिन्दी के संग साहित्य को बढ़ावा देना है। आपके पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद,तो प्रेरणा पुंज-कबीर दास हैंL विशेषज्ञता-पत्र लेखन में हैL देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-देश में बेरोजगारी की समस्या दूर हो,महंगाई भी कम हो,महिलाओं पर बलात्कार,उत्पीड़न ,शोषण आदि पर अंकुश लगे और महिलाओं का सम्मान होL