कवि योगेन्द्र पांडेय
देवरिया (उत्तरप्रदेश)
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शिक्षक दिवस विशेष…
है नमन उनको कि जिसने,
हमें ज्ञान का कोष दिया
ज्ञान ज्योति की दीपशिखा से,
मन का अंधियारा दूर किया।
जिसके तेज के आगे तम का,
चलता नहीं अधिकार कोई
जहां मूढ़ता दूर हो जाए,
पावन गुरु का द्वार वहीं।
गुरु ब्रह्म है, गुरु देवता,
गुरु कृपा से जीवन सजता
गुरु मंत्र में वह शक्ति है,
हर लेता जीवन की लघुता।
गुरु शरण में रहे जो मानव,
उसका जीवन बने महान
भव सागर से पार ले जाए,
गुरु का दिया हुआ सब ज्ञान।
गुरु के पांव पखारें आज,
गुरु रज तिलक लगाएं हम
गुरु के चरण में तीनों लोक,
गुरु को शीश झुकाएं हम।
गुरु बिन बंद कपाट ज्ञान का,
गुरु सन्मार्ग दिखाते हैं।
गुरु महिमा लिखने को मेरे,
शब्द भी कम पड़ जाते हैं॥