अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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गुलाल पिया,
प्रेम से रंगा मन-
धड़के जिया।
लगी लगन,
रंग से खेलो जरा-
जिया अगन।
तुमसे रंग,
बिन तुम अबीर-
जिया में जंग।
दे रूह रंग
रहे अमिट छाप-
खुशी का रंग।
मन पलाश,
देखो आया फागुन-
तेरी तलाश।
आ गई होली,
खोलो द्वार मन का-
छा गई होली।
बिन साजन,
सूना सारा आँगन-
दर्श दिखाओ।
रंग रसिया,
छूना चाहूँ सजना-
मन बसिया।
कैसे भुलाऊँ,
छूटती नहीं यादें-
कैसे मिटाऊँ।
करें साधना,
बस यही कामना-
भूलें शिकवा॥