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घिर आए मेघा

तृप्ति तोमर `तृष्णा`
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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ओ मेघा रे…

काली-काली घटा लिए छा गए मेघा,
साफ आकाश में चारों और घिर आए मेघा।

बारिश का उपहार ले के आए मेघा,
उष्णता से राहत की लहर बनकर आए मेघा।

खेत-खलियानों में बोवनी की दस्तक ले कर मेघा,
गर्मी के मौसम से सावन का संदेश लेकर आए मेघा।

चारो तरफ है सुंदर, मनमोहक दृश्य से मंत्रमुग्ध हुआ हृदय,
चातक, पपीहा, कोयल, मयूर का चित्त हुआ सुरों से संगीतमय।

मानो हर गली, गाँव, शहर खुशी में गा रहा हो मस्ती में ओ मेघा रे,
बच्चे भी झूम के, नाच के कह रहे हों आओ जल्दी आओ ओ मेघा रे॥

परिचय–तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर प्रतियोगी छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं। यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। साहित्यिक उपनाम-तृष्णा है। जन्मतिथि १६ नवम्बर एवं जन्म स्थान-विदिशा (मप्र) है। वर्तमान में भोपाल के जनता नगर-करोंद में निवास है। प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है। पीजीडीसीए व एम. ए. शिक्षित होकर फिलहाल डी.एलएड. जारी है। यह अधिकतर कविता लिखती हैं। एक साझा काव्य संग्रह में रचना प्रकाशन और सम्मान हुआ है। कुछ स्पर्धा में प्रथम भी आ चुकी हैं।

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