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चीनी चीजों का बहिष्कार हो

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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देख रहे हो वह बौना,
इस भारत को ललकार रहा।
मानो जुगनू ताल ठोक कर,
सूरज को फटकार रहा॥

सुई नोंक जैसी आँखें,
हमको इस तरह दिखाता है।
ज्यों मृग शावक नभ छूने,
चौकड़ी-छलांग लगाता है॥

मेरे हिंदुस्तान में भी,
नादान लोग कुछ रहते हैं।
जो सस्ते के चक्कर में पड़,
माल चाइना रखते हैं॥

उनसे है अपील यह मेरी,
मत ऐसा व्यापार करो।
भारत की अर्थव्यवस्था से तुम,
मत इतना खिलवाड़ करो॥

माल स्वदेशी,चाल स्वदेशी,
भाव स्वदेशी रख लो तुम।
जो भी मिलता टूटा-फूटा,
उसे प्रेम से पा लो तुम॥

धंधा चौपट कर दो सारा,
उस घटिया व्यापारी का।
अर्थ तंत्र का जाल तोड़ दो,
उस नकली व्यापारी का॥

हम भारत से,भारत हमसे,
भारत ही हमारा परिचय है।
हम भारत की सरगम हैं,
भारत ही हमारा सुर-लय है॥

परिचय-रायपुर में  बैंक में वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर कार्यरत अमल श्रीवास्तव का वास्तविक नाम शिवशरण श्रीवास्तव हैl`अमल` इनका उपनाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैl अमल जी का जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैl आपने गणित विषय से बी.एस-सी.की करके बैंक में नौकरी शुरू कीl आपने तीन विषय(हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. भी किया हैl आपने रामायण विशारद की भी प्राप्त की है,तो पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैl भारतीय संगीत में आपकी रूचि है,इसलिए संगीत में कनिष्ठ डिप्लोमा तथा ज्योतिष में भी डिप्लोमा प्राप्त किया हैl वर्तमान में एम्.बी.ए. व पी-एचडी. जारी हैl शतरंज के उत्कृष्ट खिलाड़ी,वक्ता और कवि श्री श्रीवास्तव कवि सम्मलेनों-गोष्ठियो में भाग लेते रहते हैंl मंच संचालन में महारथी अमल जी लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैl देश के नामी पत्र-पत्रिका में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंl रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैl विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े होकर प्रांतीय पदाधिकारी भी हैंl गायत्री परिवार से भी जुड़े होकर कई प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैंl महत्वपूर्ण उपलब्धि आपके प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म. प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन सहित राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना हैl

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