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छोड़ न…, सब चलता है

बबीता प्रजापति ‘वाणी’
झाँसी (उत्तरप्रदेश)
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दिल को लगी ठेस,
और मरहम भी जलता है
पर छोड़ न,
सब चलता है।

तो क्या हुआ,
जो ठुकरा रही है दुनिया
ठोकरों से ही तो,
इंसान सम्हलता है
पर छोड़ न,
सब चलता है।

तो क्या हुआ,
कोई कद्र नहीं तुम्हारी
बस ऐसे ही,
पत्थर हीरे में बदलता है।
छोड़ न,
सब चलता है॥

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