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जन्नत की सैर

संजय जैन ‘बीना’
मुंबई(महाराष्ट्र)
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पूनम की रात में,
प्रीतम के साथ में
निकले हैं दोनों,
जन्नत की सैर पर
देखकर राधा कृष्ण,
जैसी जोड़ी को
अप्सराएं बरसाने लगी फूल।

देखो वसुन्धरा ने धरा पर,
बिखेर दिए मोती
कोई कंकड़ कही न,
चुभ जाए कोमल पैरों में
मंद-मंद चंदन गुलाब की,
खुशबू फैला दी जन्नत में
मिलकर मदहोश हो जाए,
मोहब्बत के इस बगीचे में

प्यार में दोनों ने कुछ,
अब तक अलग है किया
हीर-राँझा जैसा प्यार,
इन दोनों ने किया
तभी तो लोग इन्हें भी,
हीर-राँझा समझने लगे
और इन दोनों की,
मोहब्बत के चर्चे करने लगे।

हर किसी से मोहब्बत,
कभी होती नहीं
आँखें और दिल जिसे मिले,
तब ये उसी से होने लगती
और सात जन्मों की कसमें,
मिलकर खाने लगते हैं
और दो दिल एक जिस्म में,
समाने लगते हैं।

आओ प्यार-मोहब्बत का,
हम अब वर्णन करें
उनकी भावनाओं का,
हम यहाँ पर सम्मान करें
प्यार-मोहब्बत कोई,
बच्चों का खेल होता नहीं।
दो आत्माओं का मिलन,
एक दिल से होता इसमें॥

परिचय– संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

 

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