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जलाओ दीप हजार

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’
बरेली(उत्तर प्रदेश)
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आया रोशनी का त्यौहार,मना लो बारम्बार,
आया दीवाली का त्यौहार,जलाओ दीप हजार।
जगमग जहां हो जाए,रहे न कहीं अंधकार,
ज्ञान की ज्योति,प्रेम की ज्योति और ज्योति सम्मान की,
आधार शिला हो हर परिवार कीl
राम ने दस शीश काट रावण के,किया रावण का उद्धार,
आज फिर वक़्त है आया काटने का सर,
उस रावण का जो हमारे अंदर है
कर तिरस्कार अग्निविस्फोटक का,
झिलमिल धरा लगाएं दीपक की कतार,
मिटे प्रदूषण,घटे पाप,अन्याय का हो नाश
अधर्म पर धर्म की विजय,जगमग हो संसार।
जलाकर मिट्टी के दीए,हर्बल फुलझड़ी से,
भूल गरीबी कुम्हार,मनाए दीवाली की खुशियाँ हर बार।
सबकी खुशियाँ लाए दीवाली का ये त्यौहार,
मिटे रोग,भरे रहें लक्ष्मी से भंडारll

परिचय-गीतांजली वार्ष्णेय का साहित्यिक उपनाम `गीतू` है। जन्म तारीख २९ अक्तूबर १९७३ और जन्म स्थान-हाथरस है। वर्तमान में आपका बसेरा बरेली(उत्तर प्रदेश) में स्थाई रूप से है। हिन्दी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाली गीतांजली वार्ष्णेय ने एम.ए.,बी.एड. सहित विशेष बी.टी.सी. की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में अध्यापन से जुड़ी होकर सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत महिला संगठन समूह का सहयोग करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,लेख,कहानी तथा गीत है। ‘नर्मदा के रत्न’ एवं ‘साया’ सहित कईं सांझा संकलन में आपकी रचनाएँ आ चुकी हैं। इस क्षेत्र में आपको ५ सम्मान और पुरस्कार मिले हैं। गीतू की उपलब्धि-शहीद रत्न प्राप्ति है। लेखनी का उद्देश्य-साहित्यिक रुचि है। इनके पसंदीदा हिंदी लेखक-महादेवी वर्मा,जयशंकर प्रसाद,कबीर, तथा मैथिलीशरण गुप्त हैं। लेखन में प्रेरणापुंज-पापा हैं। विशेषज्ञता-कविता(मुक्त) है। हिंदी के लिए विचार-“हिंदी भाषा हमारी पहचान है,हमें हिंदी बोलने पर गर्व होना चाहिए,किन्तु आज हम अपने बच्चों को हिंदी के बजाय इंग्लिश बोलने पर जोर देते हैं।”

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