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‘जलेस’ के मासिक रचनापाठ में सुनाई बेहतर रचनाएँ

इन्दौर(मध्यप्रदेश)।

जनवादी लेखक संघ के मासिक रचनापाठ के पीढ़ी दर पीढ़ी में कवियित्री ज्योति देशमुख और नवोदित कथाकार नीहारिका देशमुख ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। नीहारिका ने अपनी कहानियों-परिवर्तन तथा इक्कीस नहीं बाइस का पाठ किया। ज्योति ने खेल के मैदान से विलुप्त लड़कियाँ एवं कठिन समय आदि कविताओं का पाठ किया।
कार्यक्रम में कहानियों पर चर्चा करते हुए सन्दीप नाइक ने कहा कि इन कहानियों में विषय के अनुसार एक बोल्डनेस झलकती है। सुरेश उपाध्याय ने कहा कि इन कहानियों की भाषा अच्छी है और यह एक संभावनाशील कथाकार की उम्मीद जगाती हैं। वैभव देशमुख और मधु कान्त ने इक्कीस नहीं बाइस के अंत की नकारात्मकता से असहमति जताई,और कहा कि समाज में अब भी अच्छाई है तो साहित्य नकारात्मक क्यूँ हो ? वरिष्ठ कवि प्रदीप कान्त ने कहा कि यह युवा पीढ़ी की ओर से युवा पीढ़ी की कथाएँ हैं,किन्तु इनके अंत को और बेहतर बनाने की ज़रूरत है।
बहादुर पटेल व ज्योति देशमुख ने कहा कि परिवर्तन में सम्पादन की ज़रूरत है, जबकि इक्कीस नहीं बाइस में हमारा वर्तमान झलकता है। प्रदीप मिश्र ने विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि भाषा बेहतर है किंतु कहानी में बिम्ब और प्रतीकों की ज़रूरत है जो ज़्यादा असर कारक ढंग से प्रहार करते।
कविताओं पर चर्चा करते हुए मधु कान्त,आनन्द व्यास और सुरेश उपाध्याय ने कहा कि यह विभिन्न विषयों की कविताएँ हैं,जिनमें युद्ध और प्रेम विशेष रूप से सराहनीय है। बहादुर पटेल व प्रदीप कान्त ने कहा कि,यह अच्छी कविताएँ हैं।
देवेन्द्र रिणवा ने इनके सम्प्रेषणीय बिम्बों की सराहना की। प्रदीप मिश्र ने विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि कवि ने अपना एक मुहावरा गढ़ा है किंतु इनमें कथा तत्व का आधिक्य है जबकि कविता और कहानी में कोई फर्क़ तो नज़र आना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि युद्ध और प्रेम आज के रचनापाठ की हासिल कविता है।
कार्यक्रम का संचालन रजनी रमण शर्मा ने किया। आभार देवेंद्र रिणवा ने माना। अंत में कॉमरेड अतुल लागू को श्रद्धांजलि दी गई।

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