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प्रताप का त्याग

आरती जैन
डूंगरपुर (राजस्थान)
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‘महाराणा प्रताप और शौर्य’ स्पर्धा विशेष……….

महाराणा प्रताप की नहीं,
जान सकते वह क्रांति
उँगली काट कर क्रांति,
लाने की करते हैं जो भ्रांति।
पावन है प्रताप की वह,
शौर्य में लिपटी धरा
सोने से भी ज्यादा उस मिट्टी,
का लगता है हर कण खरा।
शस्त्र से अधिक आत्‍मविश्वास,
से वह लड़ते थे हर जंग
छापामार युद्ध से शत्रु,
की राहें करते थे तंग।
आज के जवान को सताती,
है कमी और अभाव
प्रताप की जीवनी उन्हें बताएगी,
क्या है त्याग का प्रभाव।
जिस उम्र में आज के,
जवान प्रेम का गाते हैं गाना
प्रताप स्वाभिमान के लिए खाते,
घास रूपी रोटी का खाना।
तुम संग रहकर चेतक,
भी हो गया था पावन
जिसने देश भक्ति के,
रंग का देखा था सावन।
जिन युवाओं को छोटा,
सा दर्द बड़ा सताता है
प्रताप की पढ़ लेना जीवनी,
त्याग की गाथा बताता है।
प्रताप त्याग की जीवंत,
अनोखी कहानी है
धरा पर समर्पित,
मेवाड़ की जवानी है।
विदेशी भी तुम्हारे त्याग,
का करते हैं गुण-गान।
अपनी कलम से आज,
आरती तुम्हारा करती है मान॥

परिचय : श्रीमती आरती जैन की जन्म तारीख २४ नवम्बर १९९० तथा जन्म स्थली उदयपुर (राजस्थान) हैl आपका निवास स्थान डूंगरपुर (राजस्थान) में हैl आरती जैन ने एम.ए. सहित बी.एड. की शिक्षा भी ली हैl आपकी दृष्टि में लेखन का उद्देश्य सामाजिक बुराई को दूर करना हैl आपको लेखन के लिए हाल ही में सम्मान प्राप्त हुआ हैl अंग्रेजी में लेखन करने वाली आरती जैन की रचनाएं कई दैनिक पत्र-पत्रिकाओं में लगातार छप रही हैंl आप ब्लॉग पर भी लिखती हैंl

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