सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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होली विशेष….
रंजिशें जो थी बरस में,
वह मिटाने आ गया
होली का त्यौहार देखो,
रंग लेकर आ गया।
बड़ा ही सुहावन यह,
भावमय त्यौहार है
घर, नगर और गाँव बस,
उल्लास ही उल्लास है।
हर तरफ है रंग वर्षा,
और ढोलकी की थाप
कुमकुमों से सुरभित हैं,
देखो गोरी के गाल।
आज दिन रोते हुए को भी,
हँसा देते हैं लोग
भंग का फिर रंग चढ़ा,
मस्त हो जाते हैं लोग।
तीस-चालीस वर्ष पहले,
होली की जो बात थी
वह अनूठापन न दिखता,
मिलन की जो चाह थी।
पर्व और त्यौहार अपने,
हम मनाएँगे नहीं
आने वाली पीढ़ी को
संदेश दे पाएंगे नहीं।
जोश से मनाओ इस,
आनन्दमय त्यौहार को।
प्यार से मिलकर गले,
उत्कर्ष दो व्यवहार को॥