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ऐसी होली खेलो यार

हेमराज ठाकुर
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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होली विशेष….

ऐसी होली खेलो यार,
कि मिल जाए हमको सबका प्यार
यह मानव जीवन की थाती है, यही है जीवन का अधिकार।
ऐसी होली…

जोड़ना धन-दौलत और प्रतिष्ठा,
है रोज-रोज का धंधा यार
साथ जाएगा प्यार ही सबके,
जोड़ जुगाड़ हो जाएगा बेकार।
ऐसी होली…

बहिर रंगों में रंगने से बेहतर, है उड़ेलना इक-दूजे पर प्यार
यह जग है पराया इस पर, हुआ न किसी का भी अधिकार।
ऐसी होली…

बारह मासों में यह दिन है अनूठा,
बांटों इक-दूजे से प्यार
नाते-रिश्ते दौलत से तोल कर, क्यों करते मानवता शर्मसार ?
ऐसी होली….

यह आना-जाना दौलत कमाना,
खाना-पीना सदियों से यार
मानव जीवन का हीरा प्रेम है, दिन होली के तो बांट ले प्यार।
ऐसी होली…

यह रस्म निभाना रंग ही लगाना,
है तब तक सब ही बेकार
जब तक हो न होली के खेल में,
सबकी खातिर मन में प्यार।
ऐसी होली खेलो यार…॥