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ढंग न बदला

अमल श्रीवास्तव
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)
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ऋतु बदली, मौसम बीते पर,
आसमान का रंग न बदला।
सत्ता बदली, शासक बदले,
पर शासन का ढंग न बदला॥

आर्य सभ्यता लुप्त हो रही,
हैलो-हैलो और धन्यवाद से।
नैतिकता में जहर घुल रहा,
बकवादी विषयोन्माद से॥
शंकाओं की घोर निशा में,
धूमिल हुए तथ्य अंगारे।
न्याय तंत्र में धूल झोंक,
बेखौफ घूमते हैं हत्यारे॥

कागज के विकास कार्यों का,
बचकाना अंदाज न बदला।
सत्ता बदली, शासक बदले,
पर शासन का ढंग न बदला॥

धक्के देते हुए बाप को,
कितने श्रवण कुमार मिलेंगे।
तड़पीले जख्मों से पीड़ित,
सिसकी के स्वर ढेर मिलेंगे॥
धीमी धड़कन लिए हुए,
दर्दीला सीना दिख जाएगा।
व्यथित व्यक्ति के करुण क्रंदनों,
का प्रलाप भी दिख जाएगा॥

त्योहारों की चमक उड़ी पर,
होली का हुड़दंग न बदला।
सत्ता बदली, शासक बदले,
पर शासन का ढंग न बदला॥

असुरक्षा की मार भयंकर,
हर आँगन में खड़ा कसाई।
शकुनी बने रेफरी युग के,
अहंकार ने सेहत पाई॥
मक्कारी की पौष्टिक रोटी,
गरिमा का पर्याय हो गई।
विकृति संस्कृति की बिजली से,
मुस्कानें नीलाम हो गईं॥

रस्सी जलकर खाख हो गई,
पर ऐंठन का ढंग न बदला।
सत्ता बदली, शासक बदले,
पर शासन का ढंग न बदला॥

क्रॉस कहीं पर, कहीं सितारा,
कहीं भीम का लेवल चिपका।
कट्टरता का ओढ़ लबादा,
लव-जेहाद का नारा चमका॥
मनु कर्मों की गौरव गाथा,
स्वार्थ नीति पर टंगी हुई है।
आदि विशेश्वर की यह धरती,
मयखानों से सनी हुई है॥

कश्यप कितने बदल गए हैं,
पर तक्षक का डंक न बदला।
सत्ता बदली, शासक बदले,
पर शासन का ढंग न बदला॥

क्या नेता और क्या अभिनेता,
नाच रहे आधे-अधनंगे।
संस्कृति में अश्लील दृश्य के,
रंग भर रहे हैं बदरंगे।
औषधियों में जहर घोलकर,
जीवन को विषाक्त कर डाला।
धर्म-सत्य को आडम्बर से,
भारी तहस-नहस कर डाला॥

सार तत्व निष्कर्ष यही,
कर्मों के फल का ढंग न बदला।
सत्ता बदली, शासक बदले,
पर शासन का ढंग न बदला।।

परिचय-प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।

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