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तनाव

वीना सक्सेना
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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“चल रोहित लंच करते हैं”,आशीष ने रोहित से आकर कहा।आशीष रोहित का सहयोगी था। ऑफिस में लंच टाइम हो चुका था,लेकिन रोहित का आज लंच करने का मन नहीं था। वास्तव में वह घर से लंच लाया ही नहीं था। कई दिनों से वह बहुत ही ज्यादा वर्क प्रेशर में अपने-आपको तनावग्रस्त महसूस कर रहा था,जिसकी वजह से वह घर में छोटी-छोटी बातों पर पत्नी रुपाली और अप …नी बेटी से चिढ़चिढ़ाहठ. के साथ पेश आ रहा था,और पूरे घर को भी तनाव में डाल देता था। खाना नहीं खाना उसमें नुक्स निकलना,बेटी पर झल्लाना-डाँटना,पूरे घर का माहौल खराब करके रखा था उसने।
रोहित ने देखा कि,ऑफिस की डाइनिंग टेबल पर उसके सभी सहयोगी अपना अपना लंच कर रहे थे,और एक-दूसरे से हँसी मजाक भी कर रहे थे। मन में उसने सोचा कि वह क्यों नहीं इनके जैसा रहता,क्यों नहीं हँसता,छोटी-छोटी बात पर क्यों चिढ़ चिढ़ाता रहता है। काम तो इन्हें भी करना ही पड़ता है ना,फिर हम उस काम को हँसकर क्यों नहीं करते,क्यों उस काम को खुद पर हावी कर लेते हैं,और घरवालों पर भी झल्लाते रहते हैं। आज उसे अपनी गलती का अहसास हो गया था। जरूर घर जाकर अपने पत्नी रूपाली से क्षमा मांगूंगा,और बच्चों-बेटी को कहीं घुमाने ले जाऊंगा।
अभी वह सोच ही रहा था कि,सामने से उसे लिफ्ट में रूपाली आती दिखी,साथ में एक बड़ा सा लंच बॉक्स भी था,जो सुबह गुस्से में वह घर पर छोड़ आया था। रुपाली को देख मन बहुत ही ज्यादा खुश हुआ। उसने देखा रूपाली उसी की तरफ आ रही है,वह अपनी चेयर से उठकर रूपाली की तरफ जा ही रहा था कि,फोन की घंटी बज उठी वह वापस आकर फोन सुनने लगा। घर से बेटी का फोन था-“पापा जल्दी घर आइए,मम्मी को पता नहीं क्या हो गया है। वह कुछ बोल ही नहीं रही है।” बेटी बहुत घबराई हुई थी। उसने पलट कर चौक कर गेट की तरफ देखा रूपाली वहां नहीं थी। वह घर पहुंचा पता लगा कि पत्नी को कार्डियक अरेस्ट आ गया था ।
उसने सोचा पर आज ही तो मैं सब कुछ ठीक करने वाला था। यह पहले ही चली गई,तो जो मुझे आफिस में दिखी वो कौन थी ? तो क्या यह भी तनावग्रस्त रहती थी।

परिचय : श्रीमती वीना सक्सेना की पहचान इंदौर से मध्यप्रदेश तक में लेखिका और समाजसेविका की है।जन्मतिथि-२३ अक्टूबर एवं जन्म स्थान-सिकंदराराऊ (उत्तरप्रदेश)है। वर्तमान में इंदौर में ही रहती हैं। आप प्रदेश के अलावा अन्य प्रान्तों में भी २० से अधिक वर्ष से समाजसेवा में सक्रिय हैं। मन के भावों को कलम से अभिव्यक्ति देने में माहिर श्रीमती सक्सेना को कैदी महिलाओं औऱ फुटपाथी बच्चों को संस्कार शिक्षा देने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। आपने कई पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया है।आपकी रचनाएं अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुक़ी हैं। आप अच्छी साहित्यकार के साथ ही विश्वविद्यालय स्तर पर टेनिस टूर्नामेंट में चैम्पियन भी रही हैं। `कायस्थ गौरव` और `कायस्थ प्रतिभा` सम्मान से विशेष रूप से अंलकृत श्रीमती सक्सेना के कार्यक्रम आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर भी प्रसारित हुए हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में अनेक लेख प्रकाशित हो चुके हैंl आपका कार्यक्षेत्र-समाजसेवा है तथा सामजिक गतिविधि के तहत महिला समाज की कई इकाइयों में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैंl उत्कृष्ट मंच संचालक होने के साथ ही बीएसएनएल, महिला उत्पीड़न समिति की सदस्य भी हैंl आपकी लेखन विधा खास तौर से लघुकथा हैl आपकी लेखनी का उद्देश्य-मन के भावों को अभिव्यक्ति देना हैl

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