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तिरंगा सदा शिखर पर रहे

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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अपना सम्मान तिरंगा…..

आजादी का अमृत महोत्सव है स्वतंत्रता दिवस,
हम सब पावन हुए, वतन का नया जन्म हुआ इस दिवस।

भारत का ध्वज, तिरंगा झण्डा सदा शिखर पर रहे,
हर वादी इस जगत की सम्मान करे इसका युग-युगों तक।

दिल के जज्बात साँस-धड़कन बनाकर रखें इसको जीवन भर,
कितने बलिदान दिए, वीरों ने पाने को, यह दिवस।

अब न मिटने देना तिरंगा लहराता, फहराता रहे हर दिवस,
जग के हर जीवन से जोड़ दो भारत का ये स्वतंत्रता दिवस॥

परिचय–हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

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