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तुम्हारे नाम…

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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अपनी बहुमूल्य धरोहर प्राण,
कर दी है श्याम, मैंने तुम्हारे नाम।

ना घर है-ना द्वार, ना संसार,
घबराई हूँ दु:ख से, करो उपचार।

मैं डूबने वाली हूँ मझधार में,
तुम्हीं खेवनहार हो संसार में।

टूटी-फूटी, नैया है मेरी कन्हैया,
आओ उबारो, डूब रही है नैया।

क्यों देर करते हो, श्याम सरकार,
तुम तो बहुत बड़े, हो खेवनहार।

ना इस पार की, ना उस पार का,
आसरा है मुक्तिदाता सरकार का।

जीवन की डोर है तुम्हारे हाथ में,
जैसे बाँसुरी रखे हो, तुम पास में।

अब डुबा दो, चाहे उबारो श्याम,
काया सौंपी ‘देवन्ती’ ने तुम्हारे नाम॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |