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तुलसी की महिमा

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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हो तुलसी का, पौधा खिलता, घर के आँगन में,
तुलसी महिमा, जैसे जीवन ‘माॅं’ के दामन में।

सुख-संपन्नता सजती, दु:ख की छाया मिटती,
धन-देवी ‘माँ’ तुलसी,सुख, समृद्धि रचती।
शुभ फल मिलता, औषधि बनती, प्रभु पूजा फलती,
हो तुलसी का, पौधा खिलता, घर के आँगन में…॥

राम भक्त बजरंगी, तुलसी भोग लगाते,
कृष्ण और विष्णु को, तुलसी पौध सुहाते।
जीवन रक्षक तत्व बहुत से, तुलसी पौध सजाते,
हो तुलसी का, पौधा खिलता, घर के आँगन में…॥

दक्षिण में न लगाना, जल संग दूध चढ़ाना,
प्रतिरोधक क्षमता को, अपने तन की बढ़ाना।
महिमा निज हित देन प्रभु की ‘माँ’ ही मान उगाना,
हो तुलसी का, पौधा खिलता घर के आँगन में…॥

परिचय–हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

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