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अन्तर्मन पुलकित मातृत्व भाव

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)

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अन्तर्मन पुलकित मातृत्व भाव,
पूर्ण नारीत्व सृजन तन होता है
अनुभूति सकल सुख शुभ जीवन,
सुख सन्तान प्राप्ति मन छाता है।

नारीत्व सफल गर्भाधान मुदित,
अरुणाभ प्रभात खिल जाता है
अभिलाषी विलास परणीत प्रीत,
दाम्पत्य सफल चारु बन जाता है।

नूतन चारु सृजन स्वागत भविष्य,
सूरज चन्द्र ज्योति बन छाता है
सब क्लेश वेदना तन मन अविरत,
ममतांचल गर्भ सह जाता है।

उर वात्सल्य ललित लालित्य सृजित,
आगन्तुक दर्शन ललचाता है
पीन पयोधर उत्तुंग शिखर युगल,
कामधेनु समान भर जाता है।

लालायित मन नवयुगसृजन स्वर्ण,
उल्लास मधुर मन मदमाता है
निर्माण महल सुख सन्तान स्वप्न,
प्रसूति क्लेश विकट मिट जाता है।

नवपौध अंकुरित नवप्रीत मिलन,
बहुरंग सोच काम सुख भाता है
सौभाग्य सीथ सज प्रीतम कुमकुम,
अभिमान नार्य मान जग भाता है।

मातृत्व मनसि रस माधुर्य पूरित,
जीवन्त सुख निकुंज बन जाता है
मधुमास मुकुल मकरन्द मुदित
अमोल कीर्ति व्योम मुस्काता है।

निशिचन्द्र प्रभा सन्तति तारक सम,
रजनीगंधा सम इठलाती है
आलोकित नारी लखि व्योम अरुण,
कोमल किसलय कुसुमित भाता है।

मधुगान श्रवित सुख सन्तति आगम,
सम्मान नारी गृह बढ़ जाता है
पिकगान मधुर रस शुभकाम सुभग,
मधु श्रावण आगम रति भाता है।

अकल्पनीय सुखद संतान भाव,
अवर्णनीय मातृत्व बन जाता है।
मानो यथार्थ सुख नारी जीवन,
सन्तति हर्ष कुंज बन जाता है॥

परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥ 
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥

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