कुल पृष्ठ दर्शन : 239

You are currently viewing तेरे ही भरोसे

तेरे ही भरोसे

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
*******************************************

हे राम, तेरे ही भरोसे प्राण रखे थे,
एक नहीं, अनेक अरमान रखे थे।

हे राम, अब आ गया है राम- राज तो,
अपने पास बुलाने को, आवाज दो।

हे राम, यह तन मन धन सब है तेरा,
तेरे दर्शन का प्यासा है, मन मेरा।

हे राम, पथ दिखाओ मुक्ति पाने का,
ओ नेत्र दो, मर कर स्वर्ग में जाने का।

हे राम, आप अवध धरा में जन्म लिए हो,
राम-राज लाकर, मन को हर्षित किए हो।

हे राम, तेरे ही भरोसे चली मेरी नैया,
मुझ अधम पापी का बनना खैवइया।

हे राम, उम्रभर करते रहे हम कुकर्म,
आपके आशीष से अब करूँगा धर्म।

हे राम, तेरे ही भरोसे त्याग दिया तन,
मुक्ति दे के मुझको संतुष्ट कर दो मन।

हे राम, हम तो खिलौना हैं तेरे हाथ में,
मुक्ति देकर रख लो अपने ही साथ में॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |