कुल पृष्ठ दर्शन : 274

दंगे की जड़

डॉ.चंद्रेश कुमार छतलानी 
उदयपुर (राजस्थान) 
**************************************************************************

आखिर उस आतंकवादी को पकड़ ही लिया गया,जिसने दूसरे धर्म का होकर भी रावण दहन के दिन रावण को आग लगा दी थी। उस कृत्य के कुछ ही घंटों बाद पूरे शहर में दंगे भड़क उठे थे।
आतंकवादी के पकड़ा जाने का पता चलते ही पुलिस स्टेशन में कुछ राजनीतिक दलों के नेता अपने दल-बल सहित आ गये,एक कह रहा था कि उस आतंकवादी को हमारे हवाले करो,हम उसे जनता को सौंप कर सज़ा देंगे तो दूसरा उसे न्यायालय द्वारा कड़ी सजा देने पक्षधर था,वहीं तीसरा उस आतंकवादी से बात करने को उत्सुक था।
शहर के दंगे ख़त्म होने की स्थिति में थे,लेकिन राजनीतिक दलों के यह रुख देखकर पुलिस ने फिर से दंगे फैलने के डर से न्यायालय द्वारा उस आतंकवादी को दूसरे शहर में भेजने का आदेश करवा दियाl उसके मुँह पर कपड़ा बाँध,छिपा कर बाहर निकालने का प्रयत्न कर ही रहे थे कि,एक राजनीतिक दल के लोगों ने उन्हें पकड़ लिया।
उनका नेता भागता हुआ आया,और उस आतंकवादी से चिल्ला कर पूछा,-“क्यों बे! रावण तूने ही जलाया था ?” कहते हुए उसने उसके मुँह से कपड़ा हटा दिया। कपड़ा हटते ही उसने देखा लगभग बारह-तेरह वर्ष का एक लड़का खड़ा था,जो चेहरे से ही मंदबुद्धि लग रहा था। और वह लड़का आँखें और मुँह टेढ़े कर के चेहरे के सामने हाथ की अंगुलियाँ घुमाते हुए हकलाते हुए बोला,-
“हाँ…! मैंने जलाया है…रावन को,क्यों…क्या मैं…राम नहीं बन सकता ?

 परिचय-डॉ.चंद्रेश कुमार छतलानी का कार्यक्षेत्र उदयपुर (राजस्थान) स्थित विश्वविद्यालय में सहायक आचार्य (कम्प्यूटर विज्ञान)का है। इसी उदयपुर में आप बसे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-लघुकथा,कहानी, कविता,ग़ज़ल,गीत,लेख एवं पत्र है। लघुकथा पर आधारित ‘पड़ाव और पड़ताल’ के खंड २६ में लेखक, अविराम साहित्यिकी,लघुकथा अनवरत (साझा लघुकथा संग्रह),लाल चुटकी(साझा लघुकथा संग्रह), नयी सदी की धमक(साझा लघुकथा संग्रह),अपने-अपने क्षितिज (साझा लघुकथा संग्रह)और हिंदी जगत(न्यूयॉर्क द्वारा प्रकाशित)आपके नाम हैं। ऐसे ही विविध पत्र-पत्रिकाओं सहित कईं ऑनलाइन अंतरतानों पर भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। 

Leave a Reply