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दर्पण मेरा मन

पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़) 
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बहुत दिनों बाद देखा,
दर्पण में अपने-आपको
एक खामोशी चेहरे पर,
आँखों में देखा सूनापन
काजल की ना धार है,
ना ही किसी की तलाश हैl
बहुत दिनों…

कुछ रेखाएं माथे पर,
बालों की सफेदी देखी
मन कहीं फिर को गया,
इक दौर जीवन का खो गया
उलझे रहे उन रिश्तों में,
जो कभी अपने थे नहींl
बहुत दिनों…

पीछे इक परछाई देखी,
लटे मेरी झुंझलाते देखी
खुद से खुद को ढूंढ रही,
आइने से ही पूछ रही हूँ
उम्र कहां छुपाई तूने,
एकटक उसको देख रही…l
बहुत दिनों बाद देखा….ll

परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।

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