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निराश करती है `लाल कप्तान`

इदरीस खत्री
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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निर्देशक-नवदीप सिंह रचित फिल्म लाल कप्तान में अदाकार-सैफ अली,दीपक डोबरियाल,ज़ोया हुसैन,मानव विच,सिमोन सिंह और सौरभ सचदेव हैंl संगीत-समीरा कोप्पिकर ने दिया हैl
#फ़िल्म से पहले चर्चा-
भारतीय सिनेमा में पहली बार किसी नागा साधु का किरदार सैफ अली द्वारा निभाया जा रहा है,तो पाइरेट्स के जैक स्पैरो की याद ताजा होनी ही थीl नागा साधु शिव के उपासक होते हैंl इन्हें गोसाईं भी कहते हैंl इन्हें शव तांडव पसन्द होता है,श्मशान की राख-भभूति को चेहरे का श्रंगार मानते हैंl चूंकि,सैफ की ओंकारा और लँगड़ा त्यागी, सेक्रेड गेम्स का सरताज अभी ओझल नहीं हो पाया था कि,नागा साधु के किरदार में सैफ को देखना एक अलग अनुभव होगाl निर्देशक नवदीप इसके पहले मनोरमा सिक्स फ़ीट अंडर,एन एच-१० निर्देशित कर चुके हैं,लेकिन यह फ़िल्म न तो वर्तमान कालखण्ड से मिल रही है,न ही टोने-टोटके की तरफ,तो यह जोखिम भरा फैसला हो सकता है और हुआ भी यही हैl फ़िल्म न तो मनोरंजक सिनेमा में है,न ही कला या समानांतर सिनेमा मेंl


#कहानी-
बक्सर के युद्ध के बाद की पृष्ठभूमि हैl लगभग १८ वीं सदी के शूरूआत की,जब अंग्रेज अपने नापाक इरादों को लेकर देशभर में राज करने के लिए लगे हुए थे,जिसमें देश के कुछ लोग भी मदद कर रहे थेl इसमें रहमत खान(मानव विच) भी हैl रहमत खान एक बच्चे और उसके पिता को फाँसी पर चढ़ा देता है,लेकिन एक शिव भक्त गोसाईं नागा बंजारा(सैफ अली) बन कर रहमत खान को मौत देना चाहता है जिसके लिए जो बीच में आता है उसे वह यमराज से मिलवा देता हैl
रहमत की पत्नी(सिमोन सिंह) खुबसूरत लगी है,लेकिन रहस्यमयी नायिका (ज़ोया हुसैन) की तारतम्यता ही जुड़ती नहीं लगीl खबरी (दीपक डोबरियाल) जब-जब आते ही फ़िल्म में पकड़ बनती है,पर वह कम ही आते हैंl सोनाक्षी सिन्हा का कैमियो सुखद लगा हैl
#क्यों न देखें-
लम्बी फ़िल्म,प्रस्तुतिकरण नीरस हैl एक ही उद्देश्य को लम्बा खींच गया हैl संगीत पक्ष कमज़ोर हैl
#क्यों देखें-
सैफ के नए अवतार और एक नागा साधु की बदले की कहानी के लिए देखना चाहिएl
#अंत में-
न तो फ़िल्म को नवदीप सिंह मनोरंजक बना पाए,न ही कलात्मक या कला सिनेमाl फ़िल्म बीच में ही कहीं झूल कर रह गईl प्रयोग के नाम पर कुछ भी परोस दो,तो दर्शक आज बेहद चपल,चालाक,चंट और समझदार हो चुके हैं,कुछ भी हज़म नहीं करेंगेl यह फ़िल्म निराश करती है,इसलिए फ़िल्म को २ सितारे हीl

परिचय : इंदौर शहर के अभिनय जगत में १९९३ से सतत रंगकर्म में इदरीस खत्री सक्रिय हैं,इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग १३० नाटक और १००० से ज्यादा शो में काम किया है। देअविवि के नाट्य दल को बतौर निर्देशक ११ बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में देने के साथ ही लगभग ३५ कार्यशालाएं,१० लघु फिल्म और ३ हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। आप इसी शहर में ही रहकर अभिनय अकादमी संचालित करते हैं,जहाँ प्रशिक्षण देते हैं। करीब दस साल से एक नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं। फिलहाल श्री खत्री मुम्बई के एक प्रोडक्शन हाउस में अभिनय प्रशिक्षक हैंl आप टीवी धारावाहिकों तथा फ़िल्म लेखन में सक्रिय हैंl १९ लघु फिल्मों में अभिनय कर चुके श्री खत्री का निवास इसी शहर में हैl आप वर्तमान में एक दैनिक समाचार-पत्र एवं पोर्टल में फ़िल्म सम्पादक के रूप में कार्यरत हैंl

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