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दस्तक

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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न जाने क्यों ?
आज मेरी नींद
भटक रही है,
तेरी यादों की
गलियों में।
ढूंढ रही है शायद
वो गुज़रे लम्हें,
जो गुज़ारे थे
कभी साथ तेरे।
वो सुबह-सुबह
तेरे ख़्यालों की दस्तक,
जगाती थी हमें।
और वो तेरे
हसीन ख़्वाब,
सुलाते थे हमें।
अब वो
ख़्याल न रहे,
और वो ख़्वाब भी
न जाने,
कहाँ खो गए।
हर तरफ़
घुप्प अंधेरा है,
दूर तक छाए
मायूसियों के
घने साये हैं।
न ही कोई
रास्ता नज़र आता है,
न ही किसी
मंजिल के निशान॥

परिचय-श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता, हाइकु, मुक्तक, ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

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