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दीपक महिमा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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दीपक का संदेश है, अहंकार की हार।
नीति, सत्य अरु धर्म से, पलता है उजियार॥

उजियारे की वंदना, दीपक का संदेश।
कितना भी सामर्थ्य पर, रहे मनुज का वेश॥

मद में भरना मत कभी, करना मत अभिमान।
दीपक करने आ गया, आज तिमिर-अवसान॥

दीपों के सँग है सजा, विजय भाव-आवेश।
विनत भाव से जो रहे, परे करे क्लेश॥

निज गरिमा को त्यागकर, बनना नहीं असंत।
वरना असमय ही सदा, हो जाता है अंत॥

पूजा में दीपक जले, जलकर रचता धर्म।
समझ-बूझ लें आप सब, यही पर्व का मर्म॥

कहे दीप की श्रंखला, सम्मानित हर नार।
नारी के सम्मान से, हो जग में उजियार॥

उजियारा सबने किया, हुई राम की जीत।
आओ हम गरिमा रखें, बनें सत्य के मीत॥

कोशिश करके मारना, अंतर का अँधियार।
भीतर जो अँधियार है, देना उसको मार॥

अहंकार मत पोसना, वरना तय अवसान।
उजियारे की भावना, लाती है उत्थान॥

दीपों ने मंगल चुना, फैलाया आलोक।
इसीलिए जग से हटा, प्रियवर सारा शोक॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।