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दीपदान का ध्येय

आशा आजाद`कृति`
कोरबा (छत्तीसगढ़)

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रोशनी से जिंदगी…

दीप पर्व पर धारिये, सुंदर शुभ नव ध्येय।
प्रेम भाव का दान कर, आप बनें उपमेय॥

दीपदान में पुण्य पथ, और बसा शुभ सार।
शिक्षा करदें दान नित, श्रेष्ठ यही आधार॥

दान करें धन दीन को, योग्य अगर हो आप।
मनुज सोच में लोभ ही, नित्य बना अभिशाप॥

धारण कर संतोष को, करते जाए कार्य।
बुरे कर्म को भूलवश, नहीं करें निज धार्य॥

दान करें शुभ प्रेम को, मृदुवाणी अपनत्व।
नारी का सम्मान ही, बनें मनुज शुभ सत्व॥

क्रोध भाव को त्याग कर, धैर्य बनें आगाज।
भाईचारा धारिये, यह हो शुभ आवाज॥

मात पिता को पूजिए, चरण कमल आधार।
पीड़ा धरें उबारते, दान प्रेम निज सार॥

रोती बाला हँस पड़े, ऐसी हो मुस्कान।
कर्म धर्म का बन पथिक, करलें काम महान॥

अहम द्वेष घातक हुआ, इसका बहु परिणाम।
रोग धरें निसहाय का, नित्य बचाएँ त्राण॥

दंभ कपट से हानि है, ऐसा दें संदेश।
अपने नित सुविचार से, मिटें सकल निज क्लेश॥

दीपदान में सार है, बहु इसके कर्तव्य।
मानव जीवन हो सफल, कार्य करें शुभ नव्य॥

परिचय–आशा आजाद का जन्म बाल्को (कोरबा,छत्तीसगढ़)में २० अगस्त १९७८ को हुआ है। कोरबा के मानिकपुर में ही निवासरत श्रीमती आजाद को हिंदी,अंग्रेजी व छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान है। एम.टेक.(व्यवहारिक भूविज्ञान)तक शिक्षित श्रीमती आजाद का कार्यक्षेत्र-शा.इ. महाविद्यालय (कोरबा) है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत आपकी सक्रियता लेखन में है। इनकी लेखन विधा-छंदबद्ध कविताएँ (हिंदी, छत्तीसगढ़ी भाषा)सहित गीत,आलेख,मुक्तक है। आपकी पुस्तक प्रकाशाधीन है,जबकि बहुत-सी रचनाएँ वेब, ब्लॉग और पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं। आपको छंदबद्ध कविता, आलेख,शोध-पत्र हेतु कई सम्मान-पुरस्कार मिले हैं। ब्लॉग पर लेखन में सक्रिय आशा आजाद की विशेष उपलब्धि-दूरदर्शन, आकाशवाणी,शोध-पत्र हेतु सम्मान पाना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जनहित में संदेशप्रद कविताओं का सृजन है,जिससे प्रेरित होकर हृदय भाव परिवर्तन हो और मानुष नेकी की राह पर चलें। पसंदीदा हिन्दी लेखक-रामसिंह दिनकर,कोदूराम दलित जी, तुलसीदास,कबीर दास को मानने वाली आशा आजाद के लिए प्रेरणापुंज-अरुण कुमार निगम (जनकवि कोदूराम दलित जी के सुपुत्र)हैं। श्रीमती आजाद की विशेषज्ञता-छंद और सरल-सहज स्वभाव है। आपका जीवन लक्ष्य-साहित्य सृजन से यदि एक व्यक्ति भी पढ़कर लाभान्वित होता है तो, सृजन सार्थक होगा। देवी-देवताओं और वीरों के लिए बड़े-बड़े विद्वानों ने बहुत कुछ लिख छोड़ा है,जो अनगिनत है। यदि हम वर्तमान (कलयुग)की पीड़ा,जनहित का उद्धार,संदेश का सृजन करें तो निश्चित ही देश एक नवीन युग की ओर जाएगा। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा से श्रेष्ठ कोई भाषा नहीं है,यह बहुत ही सरलता से मनुष्य के हृदय में अपना स्थान बना लेती है। हिंदी भाषा की मृदुवाणी हृदय में अमृत घोल देती है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति की ओर प्रेम, स्नेह,अपनत्व का भाव स्वतः बना लेती है।”

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