ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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खुशियाँ झोली ले भरी, आया है त्यौहार।
घर-बाहर चम-चमकते, कूड़े सब भंगार॥
दीपक की लड़ियाँ लगी, फैल रही है ज्योति।
रंग सजी मनभावनी, रंगोली हर ढ्योति॥
आतिशबाजी हो रही, सजा पंक्तिमय दीप।
दूर रहें रक्षित रहें, जा नहि अग्नि समीप॥
पूजे प्रथम गजानना, दाएं सोभित ऋद्धि।
है गणेश देवी प्रिया, बाएं बैठी सिद्धि॥
ऋद्धि-सिद्धि के पुत्र है, और शुभोशुभ-लाभ।
कमला को है प्रिय परम, कमल कली की नाभ॥
अर्धांगी शुभ की बनी, नाम कहाये पुष्टि।
करे लाभ सुलाभ तब, साथ संगिनी तुष्टि॥
तुष्टि-पुष्टि का पुत्र है, आंनद और प्रमोद।
लक्ष्मी बसी जिस गेह में, गुंजा हँसी-विनोद॥
चौदस को यम दीप दे, तेरस पूज कुबेर।
गोपा गोवर्धन मना, करे सहाय न देर॥
परब श्रृंखल अंत में, आया भाई दूज,
स्नेह मिलन भ्राता-बहन, प्रेम अनंत अबूझ॥
परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।