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दीप पर्व

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’
कोटा(राजस्थान)
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गया दशहरा तो आई लो
खुशियों भरी दिवाली,
जगमग-जगमग रोशन होगी
रात अमावस काली।

नन्हें-नन्हें दीप जलेंगे
हर आँगन चौबारे,
छुपा चेहरे को भागेंगे
इधर-उधर अँधियारे।

लक्ष्मी का भी पूजन होगा
छोड़ेंगे फुलझड़ियाँ,
दीप रखेंगे द्वार-द्वार पर
जोड़ हृदय की कड़ियाँ।

घर में जो पकवान बनेंगे
आपस में बाँटेंगे,
प्रेम-भाव से इक-दूजे के
हम दुःख को छाँटेंगे।

दीपों का त्यौहार दिवाली
जब-जब भी है आती,
रामचन्द्र के आदर्शों की
हमको याद दिलाती।

सत्य न्याय की रक्षा का हम
प्रण लें राम सरीखा,
तभी लगेगा दीप पर्व से
हमने कुछ है सीखा।।

परिचय-सुरेश चन्द्र का लेखन में नाम `सर्वहारा` हैl जन्म २२ फरवरी १९६१ में उदयपुर(राजस्थान)में हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए.(संस्कृत एवं हिन्दी)हैl प्रकाशित कृतियों में-नागफनी,मन फिर हुआ उदास,मिट्टी से कटे लोग सहित पत्ता भर छाँव और पतझर के प्रतिबिम्ब(सभी काव्य संकलन)आदि ११ हैं। ऐसे ही-बाल गीत सुधा,बाल गीत पीयूष तथा बाल गीत सुमन आदि ७ बाल कविता संग्रह भी हैंl आप रेलवे से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त अनुभाग अधिकारी होकर स्वतंत्र लेखन में हैं। आपका बसेरा कोटा(राजस्थान)में हैl

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