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देखो फिर सावन आया

डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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हरियाली की छटा बिखेरे,
देखो फिर सावन आया है
मन जैसे पुलकित हो उठा,
खुशियाँ अनमोल लाया है।

धरती ने धानी चुनर ओढ़ी,
पेड़ों पर पत्ते जवां हुए
झरने मीठे गीत सुनाए,
सावन के झूले पड़े सुहाने।

सखियों की हँसी-ठिठोली,
वृष्टि की बूँदें लाई है
श्रावणी पूर्णिमा में भाई-बहन को,
स्नेह बंधन में बांधा है।

कागज की कश्ती हमने भी,
बचपन में खूब चलाई है
पिया मिलन की ऋतु देखो,
रिमझिम बूंदों ने बरसाई है।

घनघोर घटा को देखकर,
जैसे मन मयूर झूम उठा
अम्बर और धरती के मिलन को,
बरखा ने फिर संजोया है।

मेघ मल्हार फिर गूंज उठे,
चारों ओर मृदु झंकार के साथ।
प्यार के गीत और संगीत लिए,
देखो फिर सावन आया है॥

परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में कार्यरत डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती वर्तमान में छतीसगढ़ राज्य के बिलासपुर में निवासरत हैं। आपने प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर एवं माध्यमिक शिक्षा भोपाल से प्राप्त की है। भोपाल से ही स्नातक और रायपुर से स्नातकोत्तर करके गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (बिलासपुर) से पीएच-डी. की उपाधि पाई है। अंग्रेजी साहित्य में लिखने वाले भारतीय लेखकों पर डाॅ. चक्रवर्ती ने विशेष रूप से शोध पत्र लिखे व अध्ययन किया है। २०१५ से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय (बिलासपुर) में अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ४ शोधकर्ता इनके मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं। करीब ३४ वर्ष से शिक्षा कार्य से जुडी डॉ. चक्रवर्ती के शोध-पत्र (अनेक विषय) एवं लेख अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। आपकी रुचि का क्षेत्र-हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला में कविता लेखन, पाठ, लघु कहानी लेखन, मूल उद्धरण लिखना, कहानी सुनाना है। विविध कलाओं में पारंगत डॉ. चक्रवर्ती शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कई संस्थाओं में सक्रिय सदस्य हैं तो सामाजिक गतिविधियों के लिए रोटरी इंटरनेशनल आदि में सक्रिय सदस्य हैं।

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