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देवी कौशिकी

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’
जमशेदपुर (झारखण्ड)
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देवी कौशिकी हैं माँ चामुँडी,
भक्तों का रक्षण माँ हैं करती
माँ पार्वती की कोशिका से उत्पति,
कौशिकी हैं शक्तिरुपिणी
रूपवती साँवली सलोनी देवी।

जानते थे प्रभु शिव शंकर,
माँ पार्वती ही हैं समर्थ
दुष्ट राक्षसों का संहार करने को,
हिरण्यकिशु के पौत्र हिंसक
शुंभ निशुंभ अत्याचारी
जो छीने इंद्रलोक देवों से,
उपहास किए प्रभु जानकर
हे पार्वती तुम तो हो काली,
चुभ गई बात देवी को
तप कठिन की माँ पार्वती,
तप पश्चात की माँ गंगा स्नान
नदी से निकली गौरवर्ण माँ पार्वती,
संग आई साँवली कन्या कौशिकी।

पीड़ित देवगण करें स्तुति माता की,
त्राहि माम रक्षा करिए हे देवी
मैं मुक्त करूँगी कहीं माई,
इंद्रलोक शुंभ-निशुंभ शत्रु से
इसीलिए तो आई मैं कौशिकी,
वास की देवी दक्षिण हिमाचल पर
अनुपम सुंदर श्यामल रुपसी।

दूत सुग्रीव को भेजत शुंभ,
संगिनी बनाने का संदेश देवी को
हँसी देवी, दिया युद्ध का आह्वान,
करी ध्रुमाक्ष हजारों राक्षस वध
रौद्र रूप धरी देवी कौशिकी
काली शक्ति चामुंडी।

किया रक्तबीज का रक्त पान,
माँ ने प्रण निभाया अपना
अनेक असुरों को मार गिराया,
किया शत्रु विनाश का तांडव
शुंभ-निशुंभ का किया संहार,
विजय दुंदुभी पुष्प वर्षा कर
हर्षित देवगण करे देवी स्तुति,
प्रसन्न हुई देवी कौशिकी।

देवों मैं हूँ अनेक शक्तिरुपिणी,
सारी शक्तियाँ मुझमें ही समाहित
चामुंडा रक्तदाता शताक्षी,
शांकाबरी दुर्गा भीमा बन
अनेक रूपों में मैं आऊँगी
दुष्टों का मैं करती सदा विनाश।

कोटिश नमन मैं ‘श्रेया’ करूँ,
हे कौशिकी देवी माँ
कई रूपों में दुष्ट धरा पर,
अत्याचार करें नर-नारी पर
सुबुद्धि दो माँ उनको या, विनाश करो ऐसे कु-आचार।

तुम दर्शाती स्त्री हे कल्याणी,
ममता स्नेह प्रेम त्याग तप औ भक्ति
नारी में जगे सत आत्मज्ञान शक्ति,
जीवन में हो रक्षण सत्य का उत्थान।
समाज देश विश्व सुखमय हो जीवन,
आशीष दीजै हे माँ देवी कौशिकी॥

परिचय- डॉ.आशा गुप्ता का लेखन में उपनाम-श्रेया है। आपकी जन्म तिथि २४ जून तथा जन्म स्थान-अहमदनगर (महाराष्ट्र)है। पितृ स्थान वाशिंदा-वाराणसी(उत्तर प्रदेश) है। वर्तमान में आप जमशेदपुर (झारखण्ड) में निवासरत हैं। डॉ.आशा की शिक्षा-एमबीबीएस,डीजीओ सहित डी फैमिली मेडिसिन एवं एफआईपीएस है। सम्प्रति से आप स्त्री रोग विशेषज्ञ होकर जमशेदपुर के अस्पताल में कार्यरत हैं। चिकित्सकीय पेशे के जरिए सामाजिक सेवा तो लेखनी द्वारा साहित्यिक सेवा में सक्रिय हैं। आप हिंदी,अंग्रेजी व भोजपुरी में भी काव्य,लघुकथा,स्वास्थ्य संबंधी लेख,संस्मरण लिखती हैं तो कथक नृत्य के अलावा संगीत में भी रुचि है। हिंदी,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा की अनुभवी डॉ.गुप्ता का काव्य संकलन-‘आशा की किरण’ और ‘आशा का आकाश’ प्रकाशित हो चुका है। ऐसे ही विभिन्न काव्य संकलनों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी लेख-कविताओं का लगातार प्रकाशन हुआ है। आप भारत-अमेरिका में कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर पदाधिकारी तथा कई चिकित्सा संस्थानों की व्यावसायिक सदस्य भी हैं। ब्लॉग पर भी अपने भाव व्यक्त करने वाली श्रेया को प्रथम अप्रवासी सम्मलेन(मॉरीशस)में मॉरीशस के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान,भाषाई सौहार्द सम्मान (बर्मिंघम),साहित्य गौरव व हिंदी गौरव सम्मान(न्यूयार्क) सहित विद्योत्मा सम्मान(अ.भा. कवियित्री सम्मेलन)तथा ‘कविरत्न’ उपाधि (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ) प्रमुख रुप से प्राप्त हैं। मॉरीशस ब्रॉड कॉरपोरेशन द्वारा आपकी रचना का प्रसारण किया गया है। विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ में भी आप सक्रिय हैं। लेखन के उद्देश्य पर आपका मानना है कि-मातृभाषा हिंदी हृदय में वास करती है,इसलिए लोगों से जुड़ने-समझने के लिए हिंदी उत्तम माध्यम है। बालपन से ही प्रसिद्ध कवि-कवियित्रियों- साहित्यकारों को देखने-सुनने का सौभाग्य मिला तो समझा कि शब्दों में बहुत ही शक्ति होती है। अपनी भावनाओं व सोच को शब्दों में पिरोकर आत्मिक सुख तो पाना है ही,पर हमारी मातृभाषा व संस्कृति से विदेशी भी आकर्षित होते हैं,इसलिए मातृभाषा की गरिमा देश-विदेश में सुगंध फैलाए,यह कामना भी है