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देशहित के लिए अंर्तराष्ट्रीय कर्ज का बोझ

सुशीला रोहिला
सोनीपत(हरियाणा)
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भारत देश विकास और तकनीकी के क्षेत्र में विकासशील देशों के दायरे में आ गया है। आज मोदी की जय-जयकार के नारे भारत देश ही नहीं,विदेशों में मोदी का नाद गूंज रहा है,लेकिन विपक्ष में खलबली मची हुई है। वे मोदी के जयकारों की ध्वनि की गूंज को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि,मोदी सरकार सैर-सपाटे तथा ऐश्वर्य प्राप्त करने के लिए ही अपनी धाक जमाए हुए है,और देश को कंगाल कर रहे हैं। वे मोदी सरकार को कर्जवान कहते हैं। उनका कहना है कि मोदी अपने स्वार्थ के लिए देश को कंगाल करना चाहते हैं,और अंतर्राष्ट्रीय कर्ज के तले भारत माता को बोझ से दबाना चाहते हैं। जैसे मोदी ने अपने-आपको देश का चौकीदार बताया,तो राहुल गाँधी ने उन्हें चोर कहना शुरू किया। वे जनता के सामने चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे थे कि,चौकीदार चोर है।
राहुल गांधी कह रहे हैं कि,हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को तब तक चैन से सोने नहीं देंगे,जब तक किसानों का कर्ज माफ नहीं करेंगे। सोशल मीडिया में दो तरह की खबरें सच और झुठ जैसे चल रही है।
एक और यह बताया गया कि २०१४ से लेकर २०१७ तक मोदी सरकार ने एक भी रुपया विश्व बैंक से कर्ज नहीं लियाl मोदी जी ने देश में बिना कर्ज लिए ही विकास किया है। दूसरी ओर विपक्ष का दावा है कि मोदी जी ने देश की वित्तीय स्थिति में सुधार और तमाम विकास योजनाओं को गति देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से मोटी रकम उधार ली है। रिजर्व बैंक का केन्द्र सरकार पर अल्पकालिक ऋण ३० अरब रुपये हो गया। बैंक के साप्ताहिक आँकड़ों के अनुसार२८ नवम्बर को समाप्त अवधि में केन्द्र सरकार पर ऋण और अग्रिम शून्य था। आँकड़ों के अनुसार इस दौरान राज्य सरकारों पर उधारी भी पहले के शून्य की तुलना में १.८१ अरब रुपये हो गई है।
पिछली सरकारों के लिए हुए कर्ज में भी प्रधानमंत्री श्री मोदी का नाम संलग्न करना एक अन्याय होगा। मोदी जी देश को ही अपना परिवार मानते हैं,इसलिए निस्वार्थ भावना को लेकर ही देश की सेवा में समर्पित हैं। मोदी सरकार ने देश के सुरक्षा बल को मजबूत बनाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने स्वच्छता अभियान से लेकर सैन्य सुरक्षा,गंगा माँ की स्वच्छता तथा शौचालय बनाने में अगर कर्ज का भार उठाया है,तो हम सभी विभागों तथा देशवासियों का कर्तव्य बनता है कि,हम मेहनत, ईमानदारी,सच्चाई और निष्ठा से कार्य कर सरकार को बोझ से मुक्त होने में सहयोग करें। कहावत भी है कि पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते हैं।
जो मेहनत,ईमानदारी और सच्चाई में विश्वास करके कार्य करते हैं, हौंसला उन्हीं का बुलंद होता है। ये अपने कारण न माँग कर,भीख और कर्ज भी परहित के लिए माँगते हैंl हमारे सन्तों की वाणी भी है-
माँगन त मर जाना भला,जो मैं माँगू भीख,
परमार्थ के काज हेतु माँगते ना मोहे लज्जा आवतl
विपक्ष नरेन्द्र मोदी की परीक्षा लेने के लिए गुरु विश्वामित्र की तरह जुटा हुआ है। उनको आरोपों के कटघरे में खड़ा करना चाहता है,लेकिन कहते हैं कि-
जाको राखे साईंया मार सके ना कोई।
सदभावना की क्रांति से ही देश में विकास की लहर दौड़ेगी,और भारत माता मजबूत बनेंगी।

परिचय-सुशीला रोहिला का साहित्यिक उपनाम कवियित्री सुशीला रोहिला हैl इनकी जन्म तारीख ३ मार्च १९७० और जन्म स्थान चुलकाना ग्राम हैl वर्तमान में आपका निवास सोनीपत(हरियाणा)में है। यही स्थाई पता भी है। हरियाणा राज्य की श्रीमती रोहिला ने हिन्दी में स्नातकोत्तर सहित प्रभाकर हिन्दी,बी.ए., कम्प्यूटर कोर्स,हिन्दी-अंंग्रेजी टंकण की भी शिक्षा ली हैl कार्यक्षेत्र में आप निजी विद्यालय में अध्यापिका(हिन्दी)हैंl सामाजिक गतिविधि के तहत शिक्षा और समाज सुधार में योगदान करती हैंl आपकी लेखन विधा-कहानी तथा कविता हैl शिक्षा की बोली और स्वच्छता पर आपकी किताब की तैयारी चल रही हैl इधर कई पत्र-पत्रिका में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका हैl विशेष उपलब्धि-अच्छी साहित्यकार तथा शिक्षक की पहचान मिलना है। सुशीला रोहिला की लेखनी का उद्देश्य-शिक्षा, राजनीति, विश्व को आतंकवाद तथा भ्रष्टाचार मुक्त करना है,साथ ही जनजागरण,नारी सम्मान,भ्रूण हत्या का निवारण,हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनाना और भारत को विश्वगुरु बनाने में योगदान प्रदान करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-हिन्दी है l आपकी विशेषज्ञता-हिन्दी लेखन एवं वाचन में हैl

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