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धर्म की आराधना

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’
जमशेदपुर (झारखण्ड)
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उपवास और आराधना (पर्यूषण पर्व विशेष)….

परि अर्थ है चहुँओर से,
उषण है धर्म की आराधना
भाद्र मास आया पर्यूषण पर्व,
उपवास तप त्याग साधना।

महावीर स्वामी का सिद्धांत,
अहिंसा परमो धर्म मानना
जीओ और जीने की राह,
मोक्ष का है द्वार खोलना।

चर अचर जीव लघु रूप,
सबको जीने का अधिकार
अहिंसा धर्म मनु सदाचार,
कृपा अन्न जल वायु मानना।

आत्मा द्वारा आत्मा दर्शन,
संपिवखए अप्पगमप्पएणं
जैन जन श्वेतांबर औ दिगंबर,
उपवास नियम से आराधना।

जन त्यागते अन्न औ जल,
लेकर हृदय दृढ़ संकल्प
मौन वाणी परम स्मरण,
तप मन कर्म वचन पालना।

तप त्याग समर्पण मनन,
शारीरिक मानसिक वाचिक
अद्भुत है उपवास विधान,
नम्र भाव उत्पत्ति करना।

शिव भावों की जागृति,
क्षमा मार्दव आर्नव सत्य
संयम हृदय शुद्धि मनन,
विधिवत त्याग समझना।

तप आकिंचन्य ब्रह्मचर्य,
निस्वार्थ सेवा अभयदान
आता है विश्व मैत्री दिवस,
शुद्ध क्षमा अंत: में जागना।

दी पीड़ा जाने-अनजाने,
यदि मन कर्म वचन से।
बने दीन परिजन मित्र से,
माँगे सबसे क्षमा याचना॥

परिचय- डॉ.आशा गुप्ता का लेखन में उपनाम-श्रेया है। आपकी जन्म तिथि २४ जून तथा जन्म स्थान-अहमदनगर (महाराष्ट्र)है। पितृ स्थान वाशिंदा-वाराणसी(उत्तर प्रदेश) है। वर्तमान में आप जमशेदपुर (झारखण्ड) में निवासरत हैं। डॉ.आशा की शिक्षा-एमबीबीएस,डीजीओ सहित डी फैमिली मेडिसिन एवं एफआईपीएस है। सम्प्रति से आप स्त्री रोग विशेषज्ञ होकर जमशेदपुर के अस्पताल में कार्यरत हैं। चिकित्सकीय पेशे के जरिए सामाजिक सेवा तो लेखनी द्वारा साहित्यिक सेवा में सक्रिय हैं। आप हिंदी,अंग्रेजी व भोजपुरी में भी काव्य,लघुकथा,स्वास्थ्य संबंधी लेख,संस्मरण लिखती हैं तो कथक नृत्य के अलावा संगीत में भी रुचि है। हिंदी,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा की अनुभवी डॉ.गुप्ता का काव्य संकलन-‘आशा की किरण’ और ‘आशा का आकाश’ प्रकाशित हो चुका है। ऐसे ही विभिन्न काव्य संकलनों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी लेख-कविताओं का लगातार प्रकाशन हुआ है। आप भारत-अमेरिका में कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर पदाधिकारी तथा कई चिकित्सा संस्थानों की व्यावसायिक सदस्य भी हैं। ब्लॉग पर भी अपने भाव व्यक्त करने वाली श्रेया को प्रथम अप्रवासी सम्मलेन(मॉरीशस)में मॉरीशस के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान,भाषाई सौहार्द सम्मान (बर्मिंघम),साहित्य गौरव व हिंदी गौरव सम्मान(न्यूयार्क) सहित विद्योत्मा सम्मान(अ.भा. कवियित्री सम्मेलन)तथा ‘कविरत्न’ उपाधि (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ) प्रमुख रुप से प्राप्त हैं। मॉरीशस ब्रॉड कॉरपोरेशन द्वारा आपकी रचना का प्रसारण किया गया है। विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ में भी आप सक्रिय हैं। लेखन के उद्देश्य पर आपका मानना है कि-मातृभाषा हिंदी हृदय में वास करती है,इसलिए लोगों से जुड़ने-समझने के लिए हिंदी उत्तम माध्यम है। बालपन से ही प्रसिद्ध कवि-कवियित्रियों- साहित्यकारों को देखने-सुनने का सौभाग्य मिला तो समझा कि शब्दों में बहुत ही शक्ति होती है। अपनी भावनाओं व सोच को शब्दों में पिरोकर आत्मिक सुख तो पाना है ही,पर हमारी मातृभाषा व संस्कृति से विदेशी भी आकर्षित होते हैं,इसलिए मातृभाषा की गरिमा देश-विदेश में सुगंध फैलाए,यह कामना भी है

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