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नए भारत से नए विश्व की प्रेरणा देने का अवसर

ललित गर्ग
दिल्ली
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भारत के लिए एक शुभ एवं श्रेयस्कर घटना है जी-२० देशों के समूह की अध्यक्षता संभालना। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इस जिम्मेदारी को संभालने का अर्थ है भारत को सशक्त करने के साथ-साथ दुनिया को एक नया चिन्तन, नया आर्थिक धरातल, शांति एवं सह-जीवन की संभावनाओं को बल देना। गुजरात विधानसभा में शानदार प्रदर्शन के साथ मोदी सरकार इस दायित्व को सफलतापूर्वक निर्वहन करने के लिए काफी गंभीर दिखाई दे रही है। निश्चित रूप से जी-२० जैसे विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के संस्थान का नेतृत्व करना देश के लिए प्रतिष्ठा का विषय है। यह एक ऐतिहासिक दायित्व है, स्वयं को साबित करने एवं कुछ अनूठा-विलक्षण कर दिखाने का दुर्लभ अवसर भी है। समूचे राष्ट्र को इसे भारत के अभ्युदय के रूप में देखते हुए इन उजालों का स्वागत करना चाहिए।
विश्व की राजनीति, आर्थिक एवं सामरिक नीतियों, पर्यावरण एवं प्रकृति, युद्ध एवं आतंकवाद की स्थितियों, अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों, आपसी संबंधों जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर सकारात्मक भूमिका का भार जी-२० के कंधों पर है। मूलतः यह संस्थान बदलती विश्व व्यवस्था के संदर्भ में संकटों से लड़ने के लिए बनाया गया एक अनूठा मंच है। इस मंच को प्रभावी एवं तेजस्वी बनाकर दुनिया की अनेक विषम एवं विकट समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। विशेषतः युद्ध एवं आतंकवाद मुक्त विश्व की संरचना का दायित्व निभाना इसकी प्राथमिकता होनी चाहिए। इस दायित्व को सफलतापूर्वक संचालित करने में भारत समर्थ भी है एवं परिपक्व भी। मोदी नेे अपने शासन में ऐसी क्षमताओं का विकास किया है। मोदी युग में भारतीय विदेश नीति की बड़ी विशेषता यह रही है कि भारत विश्व के सामने मांगने की मुद्रा में न होकर कुछ देने की मुद्रा में रहा है। कोरोना महासंकट के समय भारत ने दुनिया को राहत पहुंचाई है। भारत एक नई ऊर्जा के साथ दुनिया की समस्याओं के समाधान के लिए स्वयं को प्रस्तुत कर रहा है। भारत ने विश्व में ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरायमाः’ के साथ ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के मंत्र से समस्त विश्व को सुखमय बनाने के लिए विश्वमैत्री, विश्व ऐक्य एवं विश्व शांति को अनिवार्य माना है, उसकी इस व्यापक सोच एवं दर्शन से जी-२० की अध्यक्षता को बल मिलेगा।
मोदी सरकार इस अवसर को सौभाग्य में बदलने के लिए तत्पर है, और उन तैयारियों से भी जो देश के विभिन्न स्थानों पर हो रही हैं। भारत के हौंसले बुलंद तो हैं, लेकिन यह अवसर चुनौतीपूर्ण भी है। बिगड़ी विश्व की अर्थ-व्यवस्था एवं रूस-यूक्रेन युद्ध से बने संकटपूर्ण हालातों में जी-२० का दायित्व ओढ़ना साहस का कार्य है। निश्चित ही विश्वस्तर पर आगामी १ साल कठिनाइयों से भरा रहेगा, क्योंकि महाशक्तियों के आपस में टकराने की संभावनाओं से इंकार करना भारी भूल होगी। एशिया में चीन के आक्रामक तेवर, बढ़ती महंगाई, आर्थिक मंदी और विकासशील देशों में सामाजिक एवं राजनीतिक उथलपुथल जैसे संकटों ने जी-२० को ‘एक हो जाओ या नष्ट हो जाओ’ की दुविधा के सामने लाकर खड़ा कर किया है, लेकिन भारतीय मनीषा एवं मोदी की नेतृत्व क्षमताओं पर भरोसा करते हुए देखें तो इन जटिल से जटिलतर होते हालातों के बीच एक रोशनी का प्रस्फुटन होना निश्चित है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की क्षमताओं एवं कार्य-कौशल ने भारत को सशक्त बनाया है। उनकी सादगी, भारत को वैश्विक महाशक्ति बनाने की उनकी आकांक्षा से भी दुनिया भाव विभोर है। भारत को लोकतंत्र, सहिष्णुता, कौशल और उद्यमिता वर्ग का सदैव लाभ मिलता आया है। कई वैश्विक कारक भी भारत के अनुकूल हैं। मसलन पूंजी की प्रचुरता, कम ब्याज दर, बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा विनिर्माण के लिए चीन का विकल्प तलाशना। ऐसी अनुकूल परिस्थितियों में भारत को एक उत्प्रेरक की आवश्यकता थी।
मोदी निर्भीक हैं और बड़े फैसले लेने में बिल्कुल नहीं हिचकते, भले ही वे कुछ समय के लिए अलोकप्रिय ही क्यों न हों। वह समय की भूमिका के साथ-साथ लोगों द्वारा परिवर्तन को स्वीकार करने की चुनौती को भी समझते हैं। ये विशेषताएं एवं भारत के जी-२० के नेतृत्व को निश्चित ही एक नया आयाम देगी। इसका आभास बाली शिखर बैठक में भारतीय कूटनीति ने विरोधी गुटों को एक मंच पर लाने में सफलता अर्जित करके दिया। अमेरिकी सरकार ने बाली संयुक्त घोषणा पत्र का श्रेय भारत की ‘महत्वपूर्ण भूमिका’ और विरोधी खेमों में बंटे विश्व नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘अहम रिश्तों’ को दिया।
यह सर्वविदित है कि वर्तमान हालातों में वैश्विक कूटनीति डांवाडोल है। ऐसी स्थिति में भारत सभी देशों के बीच पहले से ही एक सेतु का काम तो कर ही रहा है, अब वह वैश्विक समस्याओं के निवारण का रास्ता दिखाकर जी-२० को सम्मान और दुनिया की अपेक्षाओं का संरक्षण भी कर सकेगा। भारत के नेतृत्व की सबसे बड़ी विशेषता होगी कि यह दुनिया को तोड़ने नहीं, जोड़ने का माध्यम बनेगा, क्योंकि भारत के पास आपसी प्रेम, शांति, अहिंसा और आपसी मेल-मिलाप की शक्ति है। अब भारत एक ऐसी रोशनी देगा, जो दुनिया को एक नई दुनिया में बदल देगा, अमृत से भरे घट से साक्षात्कार करा देगा।

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