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नज़र

प्रेमा नड़ुविनमनी
धारवाड़(कर्नाटक)
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मेरे सपनों के महलों में,
रखना तुम कदम एक बार।
तेरे होंठ से होंठ मिलाकर मैं चूम लूँ जरा,
मेरे सपनों की दुकान से
मैं कौन-सा तोहफा ले आऊँ,दूँ तुम्हें ?
सपनों को तो तुमने ही बेचा,
तेरे सामने है सब फीका।
सजन सपनों से दूर होकर,
मेरे दिल में बसना आकर..!
सिर्फ तुम ही हो इस हसीन दिल के प्रियतम,
पर फेरों न यूँ मुझसे नज़रll

परिचय-श्रीमती प्रेमा नडुविनमनी पेशे से अध्यापिका हैंl आपने धारवाड़, बेलगावी में एक संस्था की स्थापना भी की हैl इनकी शैक्षणिक योग्यता-एम.ए., बी.एड (हिन्दी भाषा में मानस गंगोत्री) सहित क्राफ्ट एवं ड्राइंग में डिप्लोमा तथा कम्प्यूटर शिक्षा भी हैl लगभग १७ वर्ष से अनेक संघ-संस्थाओं में बतौर शिक्षिका व व्याख्याता सेवारत हैंl आप बेलगावी में एक शाला की संस्थापक भी हैं। बेलगावी जिले में १९७४ में आपका जन्म हुआ हैl साहित्य के विभिन्न प्रकार-कविता, कहानियां,मुहावरे,नाटक,फिल्मी कहानियों को लिखने में आप माहिर हैं।इतना ही नहीं,रंगमंच में भी सेवा की है। अनेक नाटकों का निर्देशन करने के साथ ही खुद भी उनमें अभिनय किया है। कलात्मक फिल्म `रमाबाई` में अभिनय के अलावा जाने-माने अभिनेता चेतन की `नूरोंदु नेनपु` फिल्म में माँ का किरदार भी निभाया है। बहुमुखी प्रतिभा की धनी प्रेमा नडुविनमनी चित्रकला में भी कुशल हैंl इनकी प्रकाशित पुस्तकों में-मेरे प्रेम का सजन(२०१३),कण्णोळगे कुळित चेलुव(आँखों में बसे प्रिय-२०१४), कन्नड़क्कागी संगठनेगलु लघु पुस्तिका (२०१४)तथा कम्बनी कथा संकलन (२०१६) प्रमुख हैंl महिलाओं पर लेखन के साथ ही आपने बच्चों के नाटकों की रचना व निर्देशन भी किया हैl आपको २०१२ में सेवा के लिए पंडित बसवराज मनसूर राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार,श्रेष्ठ शिक्षिका पुरस्कार,२०१४ में कर्नाटक राज्योत्सव में रंग-कला सम्मान सहित शिलांग(मेघालय) में २०१७ में डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया हैl वर्तमान में आपका निवास धारवाड़ स्थित कुसुमनगर में है,जबकि स्थाई पता बेलगावी में खासबाग हैl

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