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नया जमाना

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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यहां सृजनात्मक लेखन और शोध,
नई सदी की पहचान है
यह जमाने की
आन-बान और शान है।

यहां नवोन्मेष तरीका,
अपनाया जाता है
सफलतम राह पर चलते रहने की,
हर कोशिश करते हुए
आगे बढ़ने के लिए,
सही वक्त पर सही क़दम रखा जाता है।

यह जीवन में खुशहाली लाने का,
एक खुशनुमा माहौल पैदा कर
आगे बढ़ते रहने की एक धार है,
नया इतिहास रचने के लिए
करता रहता तकरार है।

यहां अपनत्व, विवेक और सद्बुद्धि से,
कुछ हासिल सम्भव नहीं है
कुत्सित प्रयास और प्रयोग से,
सबकुछ मिलता है यहां इस ज़माने में
यही आज़ की दुनिया का सही ढंग है,
माँ-बाप, भाई-बहन और रिश्तेदारों के लिए
कोई जगह नहीं है,
पैसे और बड़े -बड़े ओहदे पर बैठे लोगों को
यहां मिलता है खूब सम्मान,
यही आज़ की दुनिया का अमृत रंग है।

यहां लोक-लाज और सामाजिक समरसता,
एक दिवास्वप्न है
सब लोग यहां रहते हैं,
अपनी-अपनी दुनिया में
इसी उधेड़बुन में रहते सदैव मग्न हैं।

आज़ के जमाने की
यह सबसे बड़ी हकीकत है।
इस रस्म-रिवाज की, इसी कारण से,
बढ़ रही आज़ बड़ी अहमियत है॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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