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माँ, तू ममता की मूरत

सच्चिदानंद किरण
भागलपुर (बिहार)
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माँ, तू मेरी ममता की मूरत, बड़े ही भोले-भाले नैनन
बहते हैं आँसू बरबस, मेरे ही खातिर सुख दुःख में रह।

कठिन परिश्रम कर थकती, न कभी दिन-रात मेरे लिए,
खाना पकाती और खिलाती, मुझे पता ही नहीं सोती कब।

माँ! तू तनिक गुस्सा ना करती, हो मेरी अनचाही फरमाईश,
पर क्यों ? पिता की अनदेखी में, हाँ से हाँ मिलाती मेरे लिए।

मैं निर्धन हूँ या अमीर, इसका तनिक भी मुझे अहसास नहीं,
खाता-खेलता रहता हूँ मैं, सच तू माँ कितनी महान।

माँ! सच यूँ कहूं तू मेरी जान, जहां हो, जब तक मैं बच्चा,
मैं सच्चा हूँ, क्या है पता सच, निभे‌ वात्सल्य कथा तेरी तक।

शिक्षा-दीक्षा सब होती ही है माँ, रोता हूँ गाता भी हूँ, तेरी दया,
कि, गीत मैं सोते‌-जागते एक‌, सपूत बनके आगे जाने कब क्या ?

माँ, सच मुझे मंजिल मिले तेरी ही, कमल चरणों में स्वर्ग बसा है,
जहां मुझे परवाह ही नहीं, सुख की संसारिक जीवन सुविधा की।

माँ, तू रोई तो जग रोया, तो मैं कहां रह गया! इस नरक-सुख सागर में,
नारी तो नारी है, माँ-पत्नी-बहन सब तो धर्म ही।

माँ, मैं वही ‘बाल छवि में रहूँ, बन के तेरी छाया में अंर्तनिहित,
होके अपनी अंतिम साँस तक, मैं दुर्दिन से मर्माहत ना होऊं माँ।

माँ, कलियुग भी घोर प्रभावी है, वृद्ध मात-पिता की सेवा‌श्रुषा में,
उच्च शिक्षा‌ पद की तैनाती में, यूँ भूल चूका है माँ का फैला आँचल॥

परिचय- सच्चिदानंद साह का साहित्यिक नाम ‘सच्चिदानंद किरण’ है। जन्म ६ फरवरी १९५९ को ग्राम-पैन (भागलपुर) में हुआ है। बिहार वासी श्री साह ने इंटरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त की है। आपके साहित्यिक खाते में प्रकाशित पुस्तकों में ‘पंछी आकाश के’, ‘रवि की छवि’ व ‘चंद्रमुखी’ (कविता संग्रह) है। सम्मान में रेलवे मालदा मंडल से राजभाषा से २ सम्मान, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ (२०१८) से ‘कवि शिरोमणि’, २०१९ में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ प्रादेशिक शाखा मुंबई से ‘साहित्य रत्न’, २०२० में अंतर्राष्ट्रीय तथागत सृजन सम्मान सहित हिंदी भाषा साहित्य परिषद खगड़िया कैलाश झा किंकर स्मृति सम्मान, तुलसी साहित्य अकादमी (भोपाल) से तुलसी सम्मान, २०२१ में गोरक्ष शक्तिधाम सेवार्थ फाउंडेशन (उज्जैन) से ‘काव्य भूषण’ आदि सम्मान मिले हैं। उपलब्धि देखें तो चित्रकारी करते हैं। आप विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ केंद्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य होने के साथ ही तुलसी साहित्य अकादमी के जिलाध्यक्ष एवं कई साहित्यिक मंच से सक्रियता से जुड़े हुए हैं।

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